गरुदेव मिलें मुझे तुम्हारा सहारा
मेरा साथ बना रहें हमेशा तुम्हारा।
गुरुज्ञान से मेरा ज्ञान का दीप जलाना
इस दुनिया से हटा के चरणों में लगाना।
इस मोह माया की दुनिया से अब तार दो
संसार से अपनी चरणों में स्वीकार लो
इस सागर में भटक नही जाहूँ इधर उधर
जहाँ भी जाहूँ मिले मुझको तुम्हारा दर।
इस महकते चमन का मुझको फूल बना दो
अपनी चरणों की धूल तो मुझ पर लगा दो।
में सेवक हूँ तुम्हारी चरणों में आया
मेरा मन मंदिर का दिया तुमनें जलाया
तुम्हारे बराबर जग नही कोई दूजा
तुम ही मेरी वन्दना और मेरी पूजा।
मोहित