हम बोले प्रेम की बोली।
माथे पर लगाये रोली ।
सारी नफरत को मिटा कर
हम मनायें ये वो होली।।
दुश्मन को भी गले लगाएंगे।
हर बुराई को भी जलाएंगे।
हर दिल मे हो मोहब्बत ऐसी
होली को आज हम मनाएंगे।।
मोहित
हम बोले प्रेम की बोली।
माथे पर लगाये रोली ।
सारी नफरत को मिटा कर
हम मनायें ये वो होली।।
दुश्मन को भी गले लगाएंगे।
हर बुराई को भी जलाएंगे।
हर दिल मे हो मोहब्बत ऐसी
होली को आज हम मनाएंगे।।
मोहित
प्रेम के रंग में रंग गया ,होली मनातें मनातें वो रसिया
भांग के भंग में भंग गया,आज गीत गाते गाते वो रसिया
प्रेम की ऐसी मारी पिचकारी सब गोपिया उसकी दीवानी
प्रेम रंग में सब भूल गया अपने घर जाते जाते वो रसिया।।
होली की आई बहार होगी आज फूलों की बौछार ।
राधा और गोपी के संग होगी ये कान्हा की पुकार ।
आज कान्हा की नगरी में राधा संग होली खेलेंगे,
कान्हा संग मस्ती होगी मिलेगा वहाँ हम सब को प्यार।
मोहित
राधा के बुलावें पर ,यशोदा का नन्द लाला
आज होली को खेलने, बरसाने आयेंगे।।
अपने सखा के संग ,रंग की होली खेलने
कान्हा सज सवर के, बरसाने जाएंगे ।।
बरसाने की गलिया ,राधिका संग सखिया
कान्हा प्रेम रंग वाली ,गुलाल लगाएंगे।
लट्ठ की मार पड़गी ,रंगों की बौछार होगी
बरसाने में जा कर, होली को मनाएंगे।।
मोहित
नयनों को मटकाती है
दिल को ये भटकाती है
यौवन की खिलती रानी
कितने को लटकाती है।।
मधुमास उसकी जवानी
नेनो से बहता पानी
उसके संग बने जोड़ी
प्रेम की हो ये कहानी।।
इन होंटो पर हो चुंबन
हाथों से हो आलिंगन
उसके संग हो वो मिलन
प्रेम में कर दे समर्पण ।।
उसके संग बन जाये बात
प्रेम की हो बस बरसात
पूरी रात हो बरसात
हो ऐसी मिलन की रात।।
मोहित
मोहब्बत के सफर में समा जलायें रखना।
ये दिलों का रिश्ता दिलों से बनायें रखना।
जीवन की बागियों से कही खुशियों मिलेंगी
तुम एक दूजे पर विश्वास जमायें रखना ।।
मोहित
तुम्हारी जिंदगी की कभी नही शाम हो
जीवन तुम्हारा एक दूजे के नाम हो।।
जीवन के पथ पर कभी नही अंधेरा हो
चन्दन की वादी में हमेशा बसेरा हो।।
ये जोड़ी तुम्हारी हर दिन सलामत रहें
ये जिंदगी एक दूजे की अमानत रहें।।
ऐसा जन्म,जन्म का तुम्हारा बंधन हो
मधुर मुस्कान वाला रिस्ता का उपवन हो।।
एक दूजे का हर वो सपना स्वीकार हो
हँसता खिलता तुम्हारा आज परिवार हो।।
इस जीवन का सफर तुम्हारा सुहाना हो
साथ फेरों का सफर तुम्हारा दीवाना हो।।
मेरी ये ही आपको मंगमकामना है
शिव
दोस्तों,
आप सभी को महाशिवरात्रि के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
मेरे ईष्ट,मेरे आराध्य परम् पिता परमेश्वर देवो के देव महादेव की चरणों में कोटि कोटि वन्दन करता हूँ।जगत पिता से ये ही दुआ करता हूँ की वो सबका कल्याण करें।
हे ईश्वर हे दाता हे परमपिता ,
है ,तू जगत निरंकारी हे दाता।
हे करूणा निधि हे करूणा कारी
हे परमपिता परमात्मा विषधारी।
हे भोले भंडारी हे त्रिपुरारी,
अब पावन कर दो हे धरा हमारी।
यहाँ सभ्यता संस्क्रति का मान रहें
ये मेरा हिंदुस्थान महान रहें।
दुख दर्द हर कष्ट को अब दूर करो
तुम दिव्य दृष्टि के रूप को अब धरो।
इस देश धरा का वैभव अमर रहें
तेरी चरणों मे हमारा घर रहें ।
जगतपिता विश्व गुरु आज कहलायें
जगत वेद पुराण की गाथा गायें।
भक्ति शक्ति देना हे करुणाकारी
हे उमाशंकर हे शिवजटा धारी ।
हे शिव शम्भू परमपिता परमेश्वर
तुमको प्रणाम शिव शंकर हे ईश्वर।
मोहित जागेटिया
शिव ही मेरी आराधना शिव ही मेरा विश्वास है ।
महादेव उसका नाम कण कण में उसका आभाष है।
उस भोले की चरणों में शांति सुकून का आभाष है,
जब भी करू शिव की पूजा तो शिव ही मेरे पास है ।।
मोहित
हर दिन शीश पर चंद्रमा,जटा से गंगा बहती है ।
हाथ मे डमरू गलें में साँप की माला रहती है ।
शिव शंकर की हम आज पूजा वंदना करें
मेरी धड़कन तो ये शिव शिव आज कहती है ।।
शिव के भांग,धतूरा का प्रसाद हर दिन चढ़ता
शिव की पूजा वंदना से मेरा दिन डलता।
दूध ,दही ,घी ,शक्कर ,और शहद से नहाता
भोले पर फूल ,माला ,बिलपत्र चढ़ने आता।
शिव के हाथ मे त्रिसूल वो कैलास निवासी
वो शिव घट घट वासी वो विश्व्नाथ है कासी।
आज में महिमा गाता हूँ उस परमेश्वर की
शिव जिसका नाम ,धाम बड़ा है उस ईश्वर की।।
मोहित
कोई अपनी मोहब्बत या सनम की बात करता है।
जिस दिल मे हिन्दुस्थान वो वतन की बात करता है।।
रहते यहाँ पर हिन्दू, मुस्लिम, सिख,ईसाई सभी भाई
जिस को हो वतन की फिक्र वो अमन की बात करता है।।
यहाँ पर धरती से उड़ते बहुत परिंदे आकाश में
दूर जाने वाला परिंदा गगन की बात करता है।।
हर दिन सीमा पर गर्मी, सर्दी, वर्षा में वो रहता
सरहद का हर जवान अपने चमन की बात करता है।।
इस वतन पर तिरंगा हो कफ़न,इस धरती पर हो दफन
मुल्क पर लहराता तिरंगा पवन की बात करता है।।
मोहित जागेटिया