Friday, December 27, 2019

राज हमारा होगा

सबके दिल पर राज रहें वो राज हमारा होगा।
मगर कल जिनका था वो राज आज हमारा होगा।
दिल से सत्ता की गलियों में गुजरा करते है हम,
दिलों पर जिनका राज था वो ताज हमारा होगा।।
मोहित जागेटिया



Tuesday, December 24, 2019

CAA पर मुक्तक दंगे

आग लगा कर तुम क्यूँ देश जलाते हो ?
अपने हो कर आज पराये बन जाते हो ।
इस मोहब्बत की मिट्टी से नफ़रत क्यूँ ?
जब वतन के गीत तुम सब भी गाते हो ।।

-- मोहित जागेटिया

कुण्डलिया छंद

            कुण्डलिया छंद
(1 )
देश कहानी लिख रहें, हमारे भी जवान।
दी जान देश पर लुटा ,रहें देश का मान।।
रहें देश का मान,अभिमान खुद पर करते।
उनका हो सम्मान,वतन पर वो जो मरते।।
दिल मे रहता देश,हाथों में वो जवानी।
हो उनका गुणगान,हो अमर देश कहानी।।

(2)
वो घर हो संस्कार का,मिलें जहाँ पर प्यार।
हो जो भी अच्छी शिक्षा,मिलें वो बार बार।।
मिलें वो बार बार,जहाँ पर जीवन दिखता।
रास्तें हो बेजान,वही पर अनुभव मिलता।।
सुंदर हो संसार,जहाँ जीवन जाएं तर।
सुख के सारे द्वार,स्वर्ग होता है वो घर।।

(3)
रहता आँगन घर खुला, निर्धन उसको जान।
छोटा ही संसार है,सच्ची वो मुस्कान।।
सच्ची वो मुस्कान,सारा दर्द वो गाता।
होता एक गरीब,दर्द को ले कर आता।।
सहने को मजबूर,वो सुखी बन सब सहता।
भूखा ही परिवार,दिल मे बस दर्द रहता।।

(4)
बंधन रिश्ता जोड़ कर,करते हम सम्मान।
अपना कर वो जिंदगी,बहु हो सबकी शान।।
बहु हो सबकी शान,बिना देहज अपनाएं।
रिश्तों का वो मान, बेटी किसी घर आयें।।
बेटी कन्यादान,वही बंधन है वन्दन।
जो हमको स्वीकार,दिल से जुड़े वो बंधन।।

(5)
मां जैसा कोई नही,मां बच्चों की जान।
माँ तुम तो महान हो,हो तुम ही भगवान।।
हो तुम ही भगवान,सपनों का संसार हो।
मिलता हमको प्यार, माँ तुम वो बौछार हो।।
माँ को दे मुस्कान, हम ध्यान दे माँ वैसा।
माँ खुद ही अवतार,कोई नही माँ जैसा।।

(6)
मां ममता है दया है,मां ही चारों धाम।
मां हैं पूजा वंदना ,मां से सबके काम।।
मां से सबके काम,उतारे अपनी नजरें।
होता मां का प्यार, टले हैं उससे खतरे।
भरा प्रेम वात्सल्य ,दर्द दुख की समता है।
मां श्रद्धा का फूल,प्यार ही माँ ममता है।।

(7)
धरती का वो लाल है, हम सब की है शान।
आन बान औ शान वो , वह  देश का किसान।।
वह देश का किसान ,हम सबका भगवान है।
किसान से है धान ,धन्य  आज ईमान है।।
कह मोहित कविराय,,प्यार लगन श्रम हरती।
जब ढल जाती शाम, तब करती प्यार धरती।।

(8)
आज बधाई जो मिली,मुझे खूब स्वीकार।
तन मन से  है शुक्रिया,तहदिल से आभार।
तह दिल से आभार, आप भी सदा मौज में।
मिलें जु खुशी हजार, बनी रहें जो रोज में।।
धन्यवाद स्वीकार ,बना रहें मेरा ही काज।
बना रहें ये प्यार, कल जो था वो ही आज।।
मोहित जागेटिया

(9)
हर गाँव गली शहर हो,स्वच्छता रहें द्वार।
सुंदर हो वातावरण,स्वच्छ रहें परिवार।।
स्वच्छ रहें परिवार,नही बीमारी आएं।
होता सम्मान जब,खुशबू से महक जाएं।।
साफ करें गन्दगी, दिल मे हो सबके भाव।
होती इसमें शान,आगें आये हर गाँव।।
मोहित जागेटिया


जब हर बेटी को मिले,ज्ञान और सम्मान
जो बेटी को प्यार दे,पाएं वो मुस्कान।।
पाएं वो मुस्कान,हर बेटी को पढ़ाओ।
दे सारे अधिकार,उसको आगें बढ़ाओ।।
बेटी से हो प्रीत,सम्मान होगा सच अब।
कैसे होगा आज,बेटी नही होगी जब।।
मोहित जागेटिया



            """स्वच्छता""
घर गाँव शहर वह गली,स्वच्छता रहें द्वार।
सुंदर हो वातावरण,स्वच्छ रहें परिवार।।
स्वच्छ रहें परिवार,नही बीमारी आएं।
होता जब सम्मान ,खुशबू से महक जाएं।।
करें गन्दगी साफ, ये भाव सबके अंदर
होती इसमें शान,आगें आएं गांव घर।।


                   नशा
जैसे जैसे बढ़ रहा,बिगड़ रहे परिवार ।
बीमारी का घर नशा,जीवन जाए हार।। 
जीवन जाए हार,जब कभी खुद खोयेगा
रह जाएं बस नाम,परिवार घर रोयेगा।।
कैसे हो उद्धार, जब नही होगा वैसे।
नशा छोड़ कर आज,जिंदगी हो सच जैसे।।
जब कभी खुद खोयेगा


                वृद्धाश्रम
कैसा दिन ये आज है,बदला समाज रूप ।
माँ-बाप वृद्धाश्रम में,मिलती उनको धूप।।
मिलती उनको धूप,नही होगी अब छाया।
बहुत दिया था प्यार,आज रोती वो काया।
उदास है दिन रात,नही हो कोई जैसा।
मिल जाये वो प्रीत,जो गया अपना कैसा।।
मोहित जागेटिया
















कुण्डलिया छंद

1                  "शिक्षा'
घर बनता संस्कार से,जहाँ पनपता प्यार।
अच्छी शिक्षा हो वहाँ,महक उठे संसार।।
महक उठे संसार ,ज्ञान से जीवन खिलता।।
फैले ज्ञान प्रकाश ,वही पर अनुभव मिलता।।
कह मोहित कविराज,जहाँ जीवन जाये तर।
खुले सुखों के द्वार, स्वर्ग बनता है वो घर।।

2                       ""गरीब""
रहता आँगन घर खुला, निर्धन उसको जान।
छोटे से संसार की ,सच्ची वो मुस्कान।।
सच्ची वो मुस्कान, हृदय की पीर सुनाता।
सहता कितने कष्ट, भाग्य में दुख है पाता।।
कितना है मजबूर,दर्द को हँसकर सहता।
सुखी रहे परिवार, सोचता हर पल रहता।।


3  स्वच्छता
गाँव शहर की हर गली,स्वच्छ रहें घर द्वार।
सुंदर हो वातावरण,सुखी रहे परिवार।।
सुखी रहे परिवार,नही बीमारी आए।
बचा धरा सम्मान ,फूल सी महकी जाए।।
करें गन्दगी साफ,चमकती दिखे हर डगर।
फैलाओ संदेश , स्वच्छ हों गाँव औ शहर।।

4      वृद्धाश्रम
कैसा हुआ समाज है ,बदला कितना रूप ।
माँ-बाप वृद्धाश्रम में,सहते जीवन धूप।।
सहते जीवन धूप,नही होगी अब छाया।
बहुत दिया था प्यार,आज रोती वो काया।
बहे नयन दिन रात, अँधेरा छाया ऐसा।
निकले प्रतिपल प्राण,कुपुत्र मिला है कैसा।।

 5       नशा
जैसे ही करता नशा,मिट जाता परिवार ।
बीमारी का घर रहा,जीवन जाए हार।। 
जीवन जाए हार, नशे में सब खोयेगा
रह जाए बस नाम,भाग्य खुद पर रोयेगा।।
कैसे हो उद्धार, मिले छुटकारा कैसे।
जीवन है लाचार ,जिंदगी बची न जैसे।।

नाम:-मोहित जागेटिया
जिला भीलवाड़ा राज.

Tuesday, December 17, 2019

ग़ज़ल(वो प्यार हमारा अमर होगा)

आज प्यार का सफ़र अब हमसफ़र होगा ।
कल तक जो उधर था अब वो इधर होगा ।

रिश्तों का आँगन सज कर जहाँ रहेगा ,
वो हमारी दुनिया का आज घर होगा ।

जिस सफर में जीवन साथी साथ होगा ,
वो सफ़र तो अपना जीवन भर होगा ।

जो कल तक वही गाँव में रहते थे वो ,
उसकी खुशबू से महकता शहर होगा ।

रिश्तों को जोड़ कर रखेगा जो बँधन ,
सच में वो प्यार हमारा अमर होगा ।

गठबँधन दो दिलों का होगा प्रेम से ,
क्या ख़ूबसूरत रिश्तों का मंज़र होगा ।

जो संबंध समाया दिल की धड़कन में ,
उस रिश्ते का ज़िंदगी में क़दर होगा ।

-- मोहित जागेटिया
   भीलवाड़ा राज.

नफ़रत मिटा दो

जो लोग नफ़रत फैला रहें हैं
वो आग लगा रहे
जो देश जला रहे हैं
वो दुश्मन देश के
क्या भला इसमें ।
जो इस तरह विरोध कर रहे
इस में देश का नुकसान हो रहा
क्या वो ये नहीं जानते हैं देश कैसे बना ?
लड़ाई लड़ो तुम अपने हक की
मगर ऐसे नहीं जिसमें देश टूटे
नफ़रत की आग इंसान जला देगी
हिंसा किसी समस्या का समाधान 
नहीं होती है।
जो भड़का रहे हैं
वो देश को क्या दिशा दे रहे
नफ़रत का विष घोल कर
देश तोड़ रहे हैं ।
शांति के रास्ता चुनो
नफ़रत वालों की मत सुनो
नफरत मिटा कर सब
प्यार का फूल खिला दो ।।
मोहित जागेटिया

Thursday, December 5, 2019

सब कुछ छोड़ कर

सब कुछ छोड़ कर क्यों हम से वो हार जाते हैं ।
मेरी ख़्वाहिश के लिए ख़ुद को मार जाते हैं ।
मेरी धड़कन मेरी साँसों से उनके रास्ते ,
मेरी इच्छा बिना कभी नहीं पार जाते हैं ।।

-- मोहित जागेटिया

Monday, December 2, 2019

बेटी हो कर मैं शर्मिदा हूँ(हैदराबाद की घटना पर)

"मैं बेटी हो कर शर्मिंदा हूँ"
=================

मेरी अस्मत से खेल कर
क्यों हो बार बार जिंदा ?
जबकी मैं हर बार मर जाती हूँ
मैं बेटी हो कर शर्मिंदा हूँ !
कहाँ पर अब खड़ी हूँ,
डर लगता है कहाँ पर अब रहूँ ।
सोचती हूँ ! क्यों ? आई मैं इस दुनिया में ?
हैवानियत की हर घटना को
देख कर मेरे अंदर ये सवाल होता है।
वो हैवानियत की घटना
जिसने मेरे जिस्म से खेल कर
मुझें अग्नि में जला दिया जाता है।
क्यों भूल जाते हैं वो शैतान
कल उनके घर में भी को कोई
बेटी,बहूँ, माँ एक नारी रहती होगी
कब तक मैं ऐसी वेदना झेलती रहूँगी ?
मैं जीत कर आई थी दुनिया में
आज हार कर जा रही हूँ अब
जिस दिन ऐसी घटनाओं के
दरिन्दों को खुले चौराहे पर
लटका दिया जायेगा उस दिन
में हार कर जीत चाहूँगी ।
लेकिन मैं कब सुरक्षित हो जाऊँगी ?
किस दिन समाज में ये संदेश जाएगा ?
जिस दिन लोगों के हृदय में भय,कानून का डर आयेगा।
बुरे काम का बुरा परिणाम होता है
ये भाव हर इंसान के अंदर आ जायेगा ।।

-- मोहित जागेटिया
भीलवाड़ा राजस्थान
पिन 311011

Sunday, December 1, 2019

भूल मत जाना

भूल गई हो या भुला दिया है
याद नही रहा याद करना
वक्त बदला हैं तुम न बदलो
याद है याद कर लेना।
जो चाहत दिल में है
वो चाहत दिल से है।
आज हूँ मैं जो कल था
वैसे रहूंगा कल भी।
ये जीवन को बस
यादों में याद करेगा
गुजरा हुआ ये पल।
भूल मत जाना
भूल कर तुम
भी.......अब
मोहित जागेटिया

Wednesday, November 27, 2019

राजनीति पर(झूठी सियासत)

राजनीति का खेल बड़ा 
खेला है नेताओं ने
जनता बेचारी
खेल देख रही नेताओं का
आज यहाँ कल कहाँ पर
गुम रहें नेता हमारे।।
मतदान किया था
इनको सेवक बन रहेंगे
काम वो जनता का करेंगे
हमारी समस्या का समाधान करेंगे
मगर आज खुद समस्या है
कब किधर चले जाएं। ।
सियासत न खुद की
न जनता हुई ये तो 
बस लोभ,मोह ,माया की हुई
सियासत में अपने रूठे
कही के अपने टूटे है
सियासत वाले तो झूठे है।।
:---मोहित जागेटिया

Monday, November 18, 2019

प्यार

प्यार उमंगों का एक अहसास है ,
प्यार दिल से धड़कन की वह प्यास है ।
ख़्वाबों में सजा लब पर रहता नाम ,
प्यार हमारा एक वो विश्वास है ।।

प्यार एक हसरत एक इबादत है ,
दिल में दिल की रहती ये चाहत है ।
प्यार रब की दी हुई है वो दौलत ,
जिसमें समाई सारी मुहब्बत है ।।

-- मोहित जागेटिया

Saturday, November 16, 2019

मैं कवि हूँ


मैं कवि हूँ,कविता से प्यार का पैगाम लिखूंगा।
सभ्यता,संस्कारों को  भारत का धाम लिखूंगा।
लिखना बहुत कुछ चाहता हूँ,शब्दों में क्या लिखूं,?
जब जब लिखूं तभी हिंदुस्तान का नाम लिखूंगा।।
मोहित जागेटिया

Sunday, November 10, 2019

सप्रीम कोट का फैसला राम मंदिर

शांति एकता का मिला,हम सबको पैगाम।
जो भी आया फैसला,घर आये प्रभु राम।।

मोहब्बत हो हर तरफ़,ये बना रहें प्यार।
सद्भावना मिशाल हो,सच्चा हो व्यवहार।।

ये न जीत न हार हुई,जीता फिर इंसान।
देखा सबने आज तो,जीता हिंदुस्तान।।

घर मे आयें लौट कर,खत्म हुआ वनवास।
मिला घर आज राम को,ये ही थी वो आस।।

नही किसी की जीत है,नही किसी की हार।
आया जो भी फैसला,करते हम स्वीकार।।

मोहित जागेटिया

राम मंदिर के फैसले के पहले

आज सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आएं उसका हम सबको सम्मान करना चाहिए।दोनु ही पक्ष के लोगों को शांति सदभावना वाला अमन कायम रखना चाहिए।सबसे पहले हम हिंदुस्थानी है तो विश्व मे हिंदुस्थान के भाईचारे का पैगाम जाना चाहिए।।शांति ,अमन ,एकता भाईचारा हमारा राष्ट्र धर्म बना रहा,कौमी एकता हमारा सन्देश रहा है।।

आज जो भी फैसला आयें सम्मान होना चाहिए।
शांति, सद्भावना का दिल मे इंसान होना चाहिए।
ये सारी दुनिया आज हिंदुस्तान को देख रही है,
प्यार का पैगाम वाला हिंदुस्तान होना चाहिए।।
मोहित जागेटिया

Saturday, November 9, 2019

गुरुदेव जन्म दिवस पर

आज मेरे गुरुदेव महंत दीपक पुरी जी महाराज को जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बहुत बहुत बधाई।गुरुदेव आज ही के दिन( देव उठनी एकदशमी) 
सांसारिक जीवन को त्याग कर आध्यत्मिक दीक्षा ले कर अपने भक्तों का कल्याण करते है।।
दीपक ज्योति बन कर वो तो दयावंत हो गये।
उन्होंने तप ऐसी की आज वो संत हो गये ।
अज्ञानता को दूर कर वो मंजिल भी दिखाते ,
भक्त वो भोले की सेवा कर महंत हो गये ।।

-- मोहित जागेटिया

आपको जन्मदिवस बहुत बहुत बधाई।
हर और खुशियों की आज रौनक छाई।।
मिलें हमको हमेशा आशीष आपका ,
इस जग में प्रकास की एक किरण आई।।

सरसड़ी मठ को आज फूलों से सजाया है।
जब जब मेरे गुरुवर का जन्मदिन आया है।
सारे भक्तों ने गुरुदेव को नमन किया जब,
गुरुवर ने भक्तों पर आशीष बरसाया है।







Monday, November 4, 2019

राम मन्दिर

देखो बस अब राम को राम मंदिर का इंतजार है।
अब तो बन जाएं भव्य मंदिर सभी की ये पुकार है।।

अब तो प्रभु श्री राम के घर राम का मंदिर बन जाए।
मेरी विनती प्रभु से,ख़ुद वो मन्दिर बनवाने आए।।

प्रभु श्री राम की इच्छा से बस अब मन्दिर में राम हो।
अब अदालत से राम मन्दिर निर्माण का ये काम हो।।

न्यायालय जो भी निर्णय दे उसको सब स्वीकार करो।
ये किसी की हार नही सदभावना का व्यवहार करो।।

इतिहास गवाह है अयोध्या प्रभु श्री राम का धाम है।
जो धाम है वो ही जन्म स्थान मेरे प्रभु श्री राम है।

अब कितने दिन और मिलेगा राम को घर से वनवास।
अब तो राम के घर मे हो जाएं राम का ही निवास।।

अब जो फैसला आये मिलें उससे प्यार का पैगाम।
पूरी दुनिया देखे इस सारा हिंदुस्तान का नाम।।


 -- मोहित जागेटिया

Sunday, November 3, 2019

मेरी जमानत

बस दी हुई ये तेरी ही अमानत है ।
शिकवा नहीं और न कोई शिकायत है ।
तुमसे दगा किसलिए करूँगा आज मैं ,
तेरी अदालत में मेरी जमानत है ।।

-- मोहित जागेटिया

महंत हो गयें

दीपक ज्योति बन कर वो तो दयावंत हो गये।
उन्होंने तप ऐसी की आज वो संत हो गये ।
अज्ञानता को दूर कर वो मंजिल भी दिखाते ,
भक्त वो भोले की सेवा कर महंत हो गये ।।

-- मोहित जागेटिया

Wednesday, October 30, 2019

दीपावली

ये मन खुशियों से भरा,मिलें खुशियां अपार।
अंधकार में रोशनी,दीवाली त्योहार।।

जब आएं वनवास से,आज अयोध्या राम
दीप जला स्वागत करें,सब होय सफल काम।।

Saturday, October 19, 2019

दिन का चेन चुरायेंगे

हम दिनों के चैन चुरायेंगे,
सपने रोज नयें बनायेंगे।
देख ली तुम्हारी चाहत को,
अब मिलने हम रोज आयेंगे।।

रात की नींद में जगायेंगे,
ख्वाब रोज हम बनायेंगे ।
दिल में तस्वीर तुम्हारी हो,
तुम को दिल मे हम बसायेंगे।।

नैनों में तुमको सजायेंगे,
ज़िंदगी अब संग बितायेंगे।
प्रीत की डोर तुम से बांध कर,
ये जीवन तुम पर लुटायेंगे।।

हम साथ तुम्हारा पायेंगे,
उम्र भर तुमको अब चाहेंगे।
इस दिल की धड़कन की धरा पर,
रोज सुमन तेरा खिलायेंगे।।

-- मोहित जागेटिया

Thursday, October 17, 2019

दीपावली

मिट्टी का दीया ले कर
हर घर में रोशनी ले जाएं
हर आंगन का अंधकार
मिटा कर प्रकाश फैलाएं
हर घर मे खुशहाली हो
ऐसी सबकी ये दीवाली हो।।

दीप ज्योति का प्रकाश बन
दीन दुखियों के मन को हर्षाएं
सबका भर दे खुशियों से दामन
सबके मन को आलोकित कर दे
पग पथ पर प्रेम के सुमन को बिछा कर
हम ऐसी दीवाली मनाएं।।

एक दीया सरहद के
जवान के नाम का जलाएं
जिनकी वजह से हमारी
ये दीवाली है हम उसकी
सुरक्षा का और खुशहाली का
दीया जला कर दीवाली मनाएं।।

जगमगाती ये दीप शिखा
मन के द्वेष को मिटा कर
पाप के अंधकार को हटा कर
मन की शांति के दीप को
प्रज्वलित कर प्रेम से
हम ये दीवाली मनाएं।।
मोहित जागेटिया
भीलवाड़ा राज.

करवा चौथ मुक्तक

करवा चौथ का व्रत कर में चाँद का दीदार करूँ।
इस चाँद के लिए उस चाँद का आज इंतजार करूँ।
कलाई में चूड़ी, माथे में मांग बिंदिया लगा कर,
पति की लंबी उम्र का आज व्रत से त्योहार करूँ ।।
मोहित जागेटिया

Saturday, October 5, 2019

जन्मदिवस पर पत्र

प्रिय,
   रेखा
आपको इस खूब सूरत दिन की मेरी और से बहुत बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं।आज ही के दिन आप इस दुनिया मे आयें और ये दुनिया मेरे लिए बहुत खूब सूरत हो गई।तुम्हारा इस दुनिया मे आना और मेरी जिंदगी में आना इस से अच्छा मेरे लिए और कुछ नही हो सकता है।
में आपको इस दिन की शब्दों से दिल के भाव से बधाई दे रहा हूँ।सच मे तुम्हें ईश्वर ने मेरे लिये ही बनाया है।आप मेरे को मिलें में आपको मिला।ये ही मेरा परम् सौभाग्य है।
में आपके जन्मदिन पर आप से कुछ नही चाहता हूँ।हमेशा आपकी खुशी ईश्वर से मांगता हूँ।हमेशा तुम मुस्कराते रहों।आपकी खुशी में और गम में मैं हकदार हूँ।चाहें खुशी न मिलें पर आपके सारे गम में हर लूँ।आपकी लम्बी उम्र की ईश्वर से कामना करता हूँ।मेरी उम्र भी आपको लग जाएं।आपके जिंदगी के सफर में मैं हमेशा हम सफर बन कर साथ निभाहुँ।कभी कोई कष्ट नही दूँ।और ईश्वर से ये ही चाहता हूं कभी किसी से कोई मुसीबत न आयें।सब से खुशियों की दौलत मिलें।प्यार मोहब्बत की शोहरत मिलें।जीवन के हर कदम पर सफलता मिलें।हर सपना आपका सच हो।मेरी दिल से आपके लियें ये ही दुआ है।आपका और मेरा साथ हर जन्म में हो।हमारा प्यार अमर रहें।

सदा खुश रहने का तुम्हें उपहार दे रहा हूँ।
सदा महको जो वो फूलो का हार दे रहा हूँ।
मैं और तुम्हें कुछ दे नही सकता हूँ इसलिये
मैं शब्दों से दिल का प्यार ही प्यार दे रहा हूँ।

बस मेरी धड़कनों पर तुम्हारा प्यार लिख दूँ।
जहाँ  बसेरा  हो वही पर  मैं ये संसार लिख दूँ।
हमेशा  आपका  मेरा  साथ  हो  जन्म  जन्म  का,
हर जन्म में आपको मैं अपना हकदार लिख दूँ।।

                                   आपका जीवनसाथी
                                     मोहित जागेटिया
12/11/2019

सरपंच

कोई सरपंच बन रहा,कोई उम्मीदवार ।
उसका ही रहेगा राज,उसको मिलेगा प्यार
जिसने कुछ कर के जीता,सारे लोगों का दिल,
जो भी जीतेगा वो ही,हमारी हो सरकार।।

पुस्तक के बारे में विचार

मेरे मित्र राजेन्द्र जांगिड़ द्वारा लिखी पुस्तक"आत्मदर्शन" को एक बार जरूर पढ़ें।कास तोर पर हर विद्यार्थी को ये पुस्तक जरूर पढ़नी चाहिए।
एक विद्यार्थी जीवन से जीवन यात्रा तक के बारे में जो कुछ लिखा है। वह बहुत ही सत्य है।जो आज की शिक्षा पद्ति है वो हमें कैसी शिक्षा दिलाती है और वैदिक शिक्षा प्रणाली हमें कैसी शिक्षा दिलाती थी।हर इंसान के जीवन मे शिक्षा का बहुत महत्व होता है।शिक्षा ही जीवन के रास्ते चुनती है।उसके अनुसार ही इंसान उस रास्तों पर जाता है ।इस पुस्तक में उन माता पिता को पढ़ना चाहिए जिनके बच्चे स्कूल जाने लगे है।बच्चों को किस तरह की शिक्षा देनी चाहिए वो इस पुस्तक मे जुवाब मिलेगा।उसी संदर्भ में ये पुस्तक प्रकाशित हुई है।
राजेन्द्र जांगिड़ ने इस पुस्तक को लिखने से पहले बहुत से सारे धर्म ग्रन्थ,वेद उपनिषद,महान लेखकों की किताबें पढ़ी है।उसके बाद अपनी लेखनी से ये पुस्तक "आत्मदर्शन"का प्रकाशन करवाया है।
इस पुस्तक के लेखक राजेन्द्र जांगिड़ को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूँ।आपकी लेखनी से साहित्य धर्म को निभा सखो।और हिन्दू संस्कृति की वैदिक प्रणाली के द्वारा शिक्षा का प्रचार कर सखो।
                          मोहित जागेटिया
                         भीलवाड़ा राजस्थान

दोहें

प्रातः काल वन्दन करें,ले प्रभु का हम नाम।
हम सबको प्रणाम करें, सफल होय सब काम।।
मोहित जागेटिया

स्नेह आभार पत्र जन्मदिवस

स्नहे आभार,
जन्मदिवस के इस खास अवसर पर आप सबके द्वारा मुझे
Whatsapp, facebook,sms or कॉल पर आज जन्म दिवस की लगातार मिल रही बधाइयों के लिए सभी आत्मीय-स्नेहिल प्रेमियों व परिवार के सदस्यों का बहुत-बहुत आभार। साथ ही ईश्वर का  कोटि-कोटि प्रणाम जिन्होंने मुझे इस योग्य चुना है।उन सब साथियों का तहदिल से शुक्रिया जिन्होंने मेरे मुस्किल समय में मेरा साथ दिया।मेरे माता-पिता, गुरूजनों, परिवार के लोगों, रिश्तेदारों और दृश्य-अदृश्य सभी साथियों को बहुत-बहुत धन्यवाद और प्रणाम।
ये दिन मेरे लिए और मूल्यवान हो जाता है।जब आप सब अपने मूल्य समय से मेरे लिए समय निकाल कर बधाई देते हो क्योंकि ये समय का ही तो चक्कर है जो चल रहा है और जीवन की उम्र को आगे बड़ा रहा है।जीवन के हर पल को नया बना रहा है।ये ही तो उम्र का दौर आगे बड़ा रहा है।

*"जो प्यार मिला आपका,दिल से है स्वीकार।
   स्नेह प्रेम हर पल रहें,करता हूँ आभार।।"*
               *मोहित जागेटिया*

तुम्हारे शहर में

        "तुम्हारे शहर में"
तुम्हारे शहर में हर कोई बदनाम है ।
कत्ल भी अब रोज यूं ही ये सरे आम है
हर रोज बिक जाता ख़ुद के स्वार्थ में कोई ,
यहाँ नही किसी की कीमत का अब दाम है।
प्रकाश में भी अंधकार की छाया रहती ,
देखो ये कैसी आज सुबह और शाम है ?
मनमर्जी करता आज ख़ुदगर्जी के लिए ,
भय नहीं , पूछता कहाँ ? ईश्वर का धाम है ?
क्या अच्छा क्या बुरा , नहीं पता परिणाम का ?
बस मतलब सबको अपने काम से काम है ।
कुछ भी कर के गुजरता इंसान इस पथ से ,
सफ़र का कुछ भी पता नहीं , क्या परिणाम है ?
कर के अच्छा काम सबको दिल में बसा लो ,
दिल में रहते लोग ही राम और श्याम है ।
*-- मोहित जागेटिया*

Wednesday, October 2, 2019

ज्यादा बारिश

हर और सबके खराब इस बार हालात है ,
बरस इतना रहा पानी खराब जज्बात है ।
किसानों के खेतों में फसलें या पानी है ,
समझ नहीं क्या ? इतनी भी बरसात है ।।

पता नही ईश्वर इस बार कहाँ पर खो गये ,
वो बीज भी नहीं मिला जो बीज वो बो गये ।
हर और पानी पानी हो रहा इस बार तो,
इस बार बारिश चालू कर भगवान सो गये ।।

मोहित जागेटिया

मुक्तक तेरी यादों में खो जाना

तेरी यादों में खो जाना अच्छा लगता है।
तेरे संग सफर करना ये सच्चा लगता है।
उम्र का ये दौर अब तुम्हारे संग ही रहें,
वो दिल मासूमियत से अभी बच्चा लगता है।।

Saturday, September 28, 2019

बारिश की बर्बादी

बारिश,बारिश,बारिश
बहुत हो रही है इस बार बारिश
नही रुख रही है इस बार बारिश
ये दौर बारिश का अब पूरा हुआ
लेकिन फिर भी बरस रही बारिश।
अब ये बर्बादी की बारिश है।
किसानों के खेतों में
सारी की सारी फसलें बर्बाद हो गई
अब कुछ नही रहा इतनी बारिश हुई
सारी फसलें गल गई
किसानों के हाथ खाली रहें
जीव,जन्तुओं, पशुओं के
खाने को भी अब कुछ नही बचा
इतनी बारिश बरसी की सब गल गया।।
कर्जा ले कर खेत बोयें थे किसानों ने
लेकिन अब भी हाथों कुछ नही आया
कर्ज ने किसानों को और डुबाया।।
बारिश से किसी किसी के
कच्चे महान भी ढह गये
इस बार ज्यादा बारिश से
सबको कुछ न कुछ नुकसान
जरूर हुआ।।
मोहित जागेटिया

Sunday, September 22, 2019

जन्मदिनस

इस जिंदगी में खुशियों की सारी दौलत मिलें।
सब लोगों के दिल मे रहने की शोहरत मिलें।।
इस जन्मदिवस पर हमारी ये ही दुआ रब से,
हर दम तुम्हें चाहने वालो की चाहत मिलें।।

Saturday, September 21, 2019

न्यायकर्ता

न्यायकर्ता
न्याय ,अन्याय के खिलाफ होता है
अगर अन्याय अपराध हो तो
अपराध का दंड होता है।
और अपराध का दंड नहीं हो तो
अन्याय की पुनरावृत्ति होती है।
जो भी पंच और न्यायकर्ता
अपने कर्तव्य पालन करता
और ईश्वर रूप धारण कर
निष्पक्ष न्याय करता है।
वो पंच परमेश्वर का आकार बन
दोषियों को सजा देता।
न्यायकर्ता में ईश्वर की शक्ति
होती है वो ईश्वर के समान न्याय देता
अपराधी को अपराध के अनुसार
दंड और निर्दोष को बाइज्जत बरी करता है।
वो एक सच्चा पंच या न्यायकर्ता
कहलाता है।

✍ मोहित जागेटिया

वक्त का पहिया

" वक्त का ये पहिया"

गुजर जाते है वो दिन
जिसे मैं याद करता हूँ
लौट नहीं आते वो दिन
जिसे मैं याद करता हूँ ।
वक्त का ये सफ़र निकल रहा है
ज़िंदगी के साथ-साथ ये चल रहा है ।
अवसर , आशा बन रही है
कुछ ख़्वाब , कुछ यादें सज रही है ।
जो बीत रहा है , वो बीत रहा है।
कुछ लम्हें ज़िंदगी के छूट रहें हैं
कुछ गौर निराशाएं टूट रहीं हैं ।
वक़्त के साथ ये ज़िंदगी
रोज-रोज नई बन रही है।
मन की उंमग रोज नई बन रही है।
जीवन के सपने
नयें आयाम को आकर दे रहें हैं ।
उम्र का ये दौर मेरा गुजर रहा है व।
वक्त का ये पहिया
ज़िंदगी का सफ़र निकाल रहा है ।।
मोहित जागेटिया

Monday, September 16, 2019

हिंदी

हिंदी सबकी शान है ,हिंदी पर अभिमान।
हिंदी का बखान करें, हिंदी हो पहचान।।

Saturday, September 7, 2019

रेखा

              मुक्तक

तुम ही मेरी जिंदगी मैं तुम्हारा प्यार हूँ।
तुम मेरा सफर मैं तुम्हारा राजकुमार हूँ।
रब से तुम्हें बनाने मैं तुमको अर्धांगनी ,
आज तुम्हें लेने आया तुम्हारे द्वार हूँ।।

अब होगी तुम्हारी और मेरी ये कहानी।
तुम्हारी आँखों से कभी नही आएं पानी।
ये रिश्ता तुम से मैने तन मन से जोड़ा है,
तुम्हें बना कर रखूंगा हर पल मेरी रानी।।

जन्मों का रिश्ता साथ फेरो से निभाऊँगा।
आज रब से तुम्हें मेरी दुल्हन बनाऊँगा।
अब तुम्हारे प्यार के बंधन में बंध कर मैं,
हमेशा जिंदगी तुम्हारी अब महकाऊँगा।।

हर फेरों से बांध लिया जन्मों का ये बन्धन।
एक दूजे को हमने कर दिया अर्पण तन मन।
मैंने रीति रस्मों संग थामा हाथ तुम्हारा।
रेखा तुम बन गई ,हमेशा को मेरी दुल्हन।।

मोहित जागेटिया

जल झुलनी पर


रंग गुलाल खेलने और जल में झूलने चले श्याम।
सारी बस्ती सज धज तैयार आएं जैसे वो राम।
भगवान श्याम के स्वागत में सारे नगरवासी खड़े ,
सारी नगरी नगरी द्वार द्वार प्रभु का बन गया धाम।।
मोहित जागेटिया

पग पग उसका धाम है,मुरली वाला नाम।
जहाँ बिराजे कोटड़ी,वो प्रभु मेरे श्याम।।

आते जाते भक्त है,सच्चे वो दरबार।
जहाँ बिराजे श्याम है,उसकी जय जयकार

हिंदी दिवस पर

हिंदी सबकी शान है ,हिंदी पर अभिमान।
हिंदी का बखान करें, हिंदी हो पहचान।।

                हिंदी भाषा

मैं  हिंदी  माँ  बेटा  हूँ  हिंदी  का  सम्मान  लिखूँगा।
मैं अपने गीत गजल कविता से ये पहचान लिखूँगा
आज मुझे हिंदी की बिंदी का जो भी प्यार मिला है,
हिंदी  के  पंख  पर  आसमान  में  उड़ान  लिखूँगा

हिंदी हम सबकी शान हो हिंदी भाषा से प्यार हो।
हिंदी से रिश्ता हम बनाने हिंदी से व्यवहार हो।।
हिंदी डोर है जो हम सबको अपनों में बांधती है,
सदा करें हम सम्मान इस भाषा का बस विस्तार हो।।

शब्द शब्द हिंदी के हर शब्द का हमको भी ज्ञान हो।
हिंदी भाषा से संस्कारों और संस्कृति का गान हो।
ह्रदय के भावों का शब्दों की आवाज का साज हो,
हिंदी पर हमको अभिमान हिंदी भाषा पहचान हो।।

हिंदी को मान सम्मान मिलें आज ये अभिलाषा हो।
राष्ट्र उन्नति में हिंदी भाषा हमारी अब आशा हो।
हिंदी की बिंदी का परचम सारे जग पर छा जाएं,
हम हिंदी को अपनाएं ये हमारी राष्ट भाषा हो।।
मोहित जागेटिया

चन्द्रयान की असफलता पर

चाँद से हार नही मानी कह दो चाँद से फिर आएंगे।
कामयाबी का फिर वही इरादा ले सफलता पाएंगे।
चाँद  से  सम्पर्क  टूटा  है  कोई  संकल्प  नही  टूटा,
एक दिन फिर से हम उसी चाँद पर तिरंगा लहरायेंगे।।
मोहित जागेटिया

Monday, September 2, 2019

गणेश चतुर्थी

*🌹🌹*गणेश चतुर्थी*🌹🌹*
     02/09/2019 सोमवार
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
*विषय----- गजानन  (दोहा छन्द)*
आप सबको गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं।।
भगवान गणेश सबका मंगल करें।

मंगल हो मंगल करें ,हम ले उनका नाम।
करें गजानन हम नमन,मंगल होगा काम।।

हे गणपति करना दया,ये विनती हर बार।
दूर कष्ट सब ही करो,खड़े तुम्हारे द्वार।।

प्रथम पूज्य तुम देवता, रहते तुम हर द्वार।
गली,शहर हर गूँजता,जय गणेश जयकार।।

लम्बोदर हे नाथ तुम, तुमको नित्य प्रणाम।
दूर विघ्न बाधा करें,होय सफल सब काम।

मोहित जागेटिया

🙏

Sunday, September 1, 2019

अतुकांत कविता

अप्रतिम छवि
प्रकृतिअनुकूल वातावरण
संध्या,,,,
पंछी लौट रहें थे
अपने अपने घर!
ची ची की आवाज का
मधुर गान का स्वर
पंछी से गुज रहा था।
मौसम सुहाना
बारिश का आना लग रहा था
कुछ पल
पहले बहुत उमस
बाद में ठंडी ठंडी हवा की
लहरें।
मैं अपने आंगन की छत से
प्रकति की शोभा को
निहार रहा था।।
आसमान के बादल काले हो रहे थे
हरियाली से धरती का श्रृंगार हो रहा था
पास ही सरोवर की लहरें
किनारों से मिलने को बेताब हो रही थी।
देखने मे ऐसे लग रहा था
गगन कोई प्रिय और
ये धरती प्रेयसी दिख रही थी।
ये धरती सोलह श्रृंगार कर बैठी थी
काले बादल बारिश बन कर
प्रेयसी से मिलने को बेताब लग रहा था।।
वो ही संध्या आरती का समय
आरती की घण्टी,शंख,,,उनका गान
कर रहें थे।।
मोहित जागेटिया

Wednesday, August 28, 2019

कविताएं लेखन

🏉🏉🏉🏉🏉🏉🏉🏉🏉🏉
~~~~~~~~~~~~~~~बाबूलालशर्मा
.    🌼  *कुण्डलिया छंद विधान* 🌼 
.              ( प्राथमिक  जानकारी)
.                      🌹🌹

सुन्दर दोहा  लीजिए, सुन्दर भाव बनाय।
तेरह ग्यारह मात्रिका, चरणों वार  लगाय।
चरणों वार लगाय, चरण अंतिम दोहे का।
रोला छन्द बनाय, चरण पहला  रोले का।
पहला  दोहा  शब्द, अंत रोले  के  अन्दर।
भरें भाव  भरपूर, बने कुण्डलिया सुन्दर।
.                         .....बाबू लाल शर्मा

*प्रथम दो पंक्ति दोहा* (१३,११ )
दोहे के प्रथम व तीसरे चरण में १३,१३ मात्राएँ अंत में २१२ या१११

दोहे के दूसरे व चौथे चरण में  ११,११ मात्राएं व अन्त में तुकान्त में एक गुरु एक लघु।

चार चरण रोला के
२४ मात्रा प्रत्येक में
११,१३
यति ११ पर

दोहे का अंतिम चरण  रोला प्रथम बनाय।
दोहे का ले शब्द प्रथम, रोला अंत सुनाय।।
- - - - - - - - -
अर्थात....

पहला दोहा,

फिर पहले दोहे के अंतिम चरण को लेते हुए रोला(अंत में गुरु,गुरु)

फिर रोला।।

प्रथम व अंतिम शब्द समान हो।
अर्थात जहाँ से शुरू वहीं से समापन हो, सर्प की कुण्डली की तरह फन एवं पूँछ एक साथ 🙏

*रोला*:-११,१३ मात्रा से लिखा गया छंद:-
११,मात्रिक प्रथम व तृतीय चरण (विषम चरण) का अंत गुरु लघु (२ १) से हो

१३ मात्रिक द्वितीय व चतुर्थ चरण (सम चरण) का अंत  २ २  या २ १ १ से हो।
.............................बाबूलालशर्मा
*उदाहरण*- - -
जगती  की शोभा सदा, जीवन  पानी  पेड़।
प्राणवायु  मिलती सखे, वृक्ष रोपि पथ मेड़।
वृक्ष रोपि पथ मेड़,जगह जो भी मिल जावे।
श्यामा  पर  ये पेड़, मेह  घन श्याम  बुलावे।
कहे 'लाल'  कविराय,धरा मनभावन लगती।
पर्यावरण  सुधार, बने स्वर्गिक जग जगती।
👆 इस तरह चौकल शब्द से ही शुरुआत करें।

विषम परिस्थितियों में इस तरह भी लिख सकते हैं👇
.            *करवा चौथ*
.           कुण्डलिया छंद
.           🌙🌙🌙🌙
चौथ  व्रती  बन  पूजती, चंदा  चौथ  चकोर।
आज सुहागिन सब करें,यह उपवास कठोर।
यह   उपवास  कठोर , पूजती   चंदा  प्यारा।
पिया  जिए  सौ साल, अमर संयोग  हमारा।
कहे लाल कविराय, वारती  जती  सती बन।
अमर रहे  तू चाँद, पूजती   चौथ  व्रती  बन।
.            🌙🌙🌙🌙
नारि सुहागिन कर रही,पूजा जप तप ध्यान।
पति की लम्बी आयु हो, खूब बढ़े जग मान।
खूब  बढ़े  जग मान, करे  उपवास  तुम्हारा।
मात  चौथ  सुन  अर्ज , रहे  संजोग  हमारा।
कर सोलह सिंगार, निभाये प्रीत  यहाँ  दिन।
पति हित सारे काज, करे ये  नारि सुहागिन।
.           🌙🌙🌙🌙
🙏✍©
रचियता:-
*बाबू लाल शर्मा "बौहरा"*
*सिकंदरा,दौसा,राजस्थान*
🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴

कविताएं लेखन

हाइकु ,वर्ण पिरामिड  ,सायली ,ताका ,माहिया वर्णों का खेल है।
हाइकु 5,7,5 पर आधारित तीन पंक्तियों वाली गहरी रचना है ।
जिसमें दो बिंब जरुरी हैं।एक प्राकृतिक बिंब और दूसरा उससे संबंधित बिंब।
यह पहले 5 या 12में हो सकता है या अंतिम 12में ।
उदाहरण ':--
ओस की बूंद
बिखरे धरा पर ~
फूलों पे मोती
*पाखी*

माहिया
यह 12,10,12
वर्णों पर आधारित रचना है ।जिसमें नायक -नायिका के सवाल जबाव जैसे शब्द पिरोये जाते हैं।कुछफिल्मी गाने भी इस विधा पर हैंजो बहुत कर्णप्रिय हैं।
उदा.
*पाखी हूँ मैं पाखी*
*बच के रहना तुम*
*नयनन शर से साथी*
यहाँ पहले व तीसरे चरण का वाचिक तुकांत लय बद्धता के लिएजरूरी है।

वर्ण पिरामिड:-
यह एक वर्ण सेशुरू होकर सात वर्णों में पूर्ण होने वाली रचना है।
आधा वर्ण नहीं गिना जाता।
उदा.
हे
कृष्ण
उद्धव
मत आना
बताने यहाँ
ज्ञान विरह का
बाँटने मत आना।
पाखी

सायली
यह पांच पंक्तियों की रचना है ।
जिसमें वर्ण नहीं शब्द समूह भी गिने जाते हैं।
1,2,3,2,1 के क्रम से इसकी संरचना होती है।
कहते हैं सायली सीधा -उल्टा कैसे भी पढ़े सार्थक होनी चाहिये।
उदा.

सायली--
बनी
फूल पत्तो
सजी बगिया थी
उजाड दी
तुमने
पाखी

तांका कविताएँ
(5 7 5 7 7)

1
साहस शील
जीवन गतिशील
मन का सुख।
विवेक के सहारे
कर्तव्य निर्वहन।
2
बूढ़े माँ-बाप
जीने का हैं आधार
नही कबाड़।
हमारे हैं अस्तित्व
सुरक्षित भविष्य।
3
तेरा निज़ाम
सना है सन्नाटे से
मरता सच।
कराहता विश्वास
नही है कोई आस।
4
मुखौटा फेंक
असलियत दिखा
कुछ न छुपा।
पीठ पर न मार
सीने पर कर वार।
5
सच की मंडी
खूंटो पर लटका
बिकता सच।
सच के मुखौटों में
झूठ भरे चेहरे।

डॉ सुशील शर्मा

Monday, August 26, 2019

जन्माष्टमी

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की आप सभी मेरे व मेरे परिवार की और से हार्दिक शुभ कामनायें!
वो भगवान श्री कृष्ण हर कला में निर्पूर्ण थे।उन्होंने अपनी हर लीला को यहाँ दिखाया है।अपनी बाललीला से ले कर कंस जैसे दुराचारी का वध किया।जिन्होंने गीता का उपदेश दिया ।हर भक्त का उद्धार किया ऐसे परम् पिता परमेश्वर राजा धी राज द्वारकाधीश की चरणों में मेरा प्रणाम।

राधा उसकी प्रीत है,कान्हा उसका नाम।
रानी उसकी रुक्मणी,मीरा का वो श्याम।।
मोहित जागेटिया

मटकी फोड़ी उसने माखन चोर कहलाया।
ब्रज की गलियों में उसने जब शोर मचाया।
सब जब झूम उठे उसके आने की खुशी में,
गोकुल का ग्वाला बंशी वाला आज आया।।
मोहित जागेटिया

बड़ा ही नटखट है बाबा नन्द का लाला।
देवकी का छोरा और गायों का ग्वाला।
वो मोर मुकुट वाला हाथों में मुरली है,
साँवला सलोना यशोदा का श्याम काला।।
मोहित जागेटिया