Saturday, September 28, 2019

बारिश की बर्बादी

बारिश,बारिश,बारिश
बहुत हो रही है इस बार बारिश
नही रुख रही है इस बार बारिश
ये दौर बारिश का अब पूरा हुआ
लेकिन फिर भी बरस रही बारिश।
अब ये बर्बादी की बारिश है।
किसानों के खेतों में
सारी की सारी फसलें बर्बाद हो गई
अब कुछ नही रहा इतनी बारिश हुई
सारी फसलें गल गई
किसानों के हाथ खाली रहें
जीव,जन्तुओं, पशुओं के
खाने को भी अब कुछ नही बचा
इतनी बारिश बरसी की सब गल गया।।
कर्जा ले कर खेत बोयें थे किसानों ने
लेकिन अब भी हाथों कुछ नही आया
कर्ज ने किसानों को और डुबाया।।
बारिश से किसी किसी के
कच्चे महान भी ढह गये
इस बार ज्यादा बारिश से
सबको कुछ न कुछ नुकसान
जरूर हुआ।।
मोहित जागेटिया

Sunday, September 22, 2019

जन्मदिनस

इस जिंदगी में खुशियों की सारी दौलत मिलें।
सब लोगों के दिल मे रहने की शोहरत मिलें।।
इस जन्मदिवस पर हमारी ये ही दुआ रब से,
हर दम तुम्हें चाहने वालो की चाहत मिलें।।

Saturday, September 21, 2019

न्यायकर्ता

न्यायकर्ता
न्याय ,अन्याय के खिलाफ होता है
अगर अन्याय अपराध हो तो
अपराध का दंड होता है।
और अपराध का दंड नहीं हो तो
अन्याय की पुनरावृत्ति होती है।
जो भी पंच और न्यायकर्ता
अपने कर्तव्य पालन करता
और ईश्वर रूप धारण कर
निष्पक्ष न्याय करता है।
वो पंच परमेश्वर का आकार बन
दोषियों को सजा देता।
न्यायकर्ता में ईश्वर की शक्ति
होती है वो ईश्वर के समान न्याय देता
अपराधी को अपराध के अनुसार
दंड और निर्दोष को बाइज्जत बरी करता है।
वो एक सच्चा पंच या न्यायकर्ता
कहलाता है।

✍ मोहित जागेटिया

वक्त का पहिया

" वक्त का ये पहिया"

गुजर जाते है वो दिन
जिसे मैं याद करता हूँ
लौट नहीं आते वो दिन
जिसे मैं याद करता हूँ ।
वक्त का ये सफ़र निकल रहा है
ज़िंदगी के साथ-साथ ये चल रहा है ।
अवसर , आशा बन रही है
कुछ ख़्वाब , कुछ यादें सज रही है ।
जो बीत रहा है , वो बीत रहा है।
कुछ लम्हें ज़िंदगी के छूट रहें हैं
कुछ गौर निराशाएं टूट रहीं हैं ।
वक़्त के साथ ये ज़िंदगी
रोज-रोज नई बन रही है।
मन की उंमग रोज नई बन रही है।
जीवन के सपने
नयें आयाम को आकर दे रहें हैं ।
उम्र का ये दौर मेरा गुजर रहा है व।
वक्त का ये पहिया
ज़िंदगी का सफ़र निकाल रहा है ।।
मोहित जागेटिया

Monday, September 16, 2019

हिंदी

हिंदी सबकी शान है ,हिंदी पर अभिमान।
हिंदी का बखान करें, हिंदी हो पहचान।।

Saturday, September 7, 2019

रेखा

              मुक्तक

तुम ही मेरी जिंदगी मैं तुम्हारा प्यार हूँ।
तुम मेरा सफर मैं तुम्हारा राजकुमार हूँ।
रब से तुम्हें बनाने मैं तुमको अर्धांगनी ,
आज तुम्हें लेने आया तुम्हारे द्वार हूँ।।

अब होगी तुम्हारी और मेरी ये कहानी।
तुम्हारी आँखों से कभी नही आएं पानी।
ये रिश्ता तुम से मैने तन मन से जोड़ा है,
तुम्हें बना कर रखूंगा हर पल मेरी रानी।।

जन्मों का रिश्ता साथ फेरो से निभाऊँगा।
आज रब से तुम्हें मेरी दुल्हन बनाऊँगा।
अब तुम्हारे प्यार के बंधन में बंध कर मैं,
हमेशा जिंदगी तुम्हारी अब महकाऊँगा।।

हर फेरों से बांध लिया जन्मों का ये बन्धन।
एक दूजे को हमने कर दिया अर्पण तन मन।
मैंने रीति रस्मों संग थामा हाथ तुम्हारा।
रेखा तुम बन गई ,हमेशा को मेरी दुल्हन।।

मोहित जागेटिया

जल झुलनी पर


रंग गुलाल खेलने और जल में झूलने चले श्याम।
सारी बस्ती सज धज तैयार आएं जैसे वो राम।
भगवान श्याम के स्वागत में सारे नगरवासी खड़े ,
सारी नगरी नगरी द्वार द्वार प्रभु का बन गया धाम।।
मोहित जागेटिया

पग पग उसका धाम है,मुरली वाला नाम।
जहाँ बिराजे कोटड़ी,वो प्रभु मेरे श्याम।।

आते जाते भक्त है,सच्चे वो दरबार।
जहाँ बिराजे श्याम है,उसकी जय जयकार

हिंदी दिवस पर

हिंदी सबकी शान है ,हिंदी पर अभिमान।
हिंदी का बखान करें, हिंदी हो पहचान।।

                हिंदी भाषा

मैं  हिंदी  माँ  बेटा  हूँ  हिंदी  का  सम्मान  लिखूँगा।
मैं अपने गीत गजल कविता से ये पहचान लिखूँगा
आज मुझे हिंदी की बिंदी का जो भी प्यार मिला है,
हिंदी  के  पंख  पर  आसमान  में  उड़ान  लिखूँगा

हिंदी हम सबकी शान हो हिंदी भाषा से प्यार हो।
हिंदी से रिश्ता हम बनाने हिंदी से व्यवहार हो।।
हिंदी डोर है जो हम सबको अपनों में बांधती है,
सदा करें हम सम्मान इस भाषा का बस विस्तार हो।।

शब्द शब्द हिंदी के हर शब्द का हमको भी ज्ञान हो।
हिंदी भाषा से संस्कारों और संस्कृति का गान हो।
ह्रदय के भावों का शब्दों की आवाज का साज हो,
हिंदी पर हमको अभिमान हिंदी भाषा पहचान हो।।

हिंदी को मान सम्मान मिलें आज ये अभिलाषा हो।
राष्ट्र उन्नति में हिंदी भाषा हमारी अब आशा हो।
हिंदी की बिंदी का परचम सारे जग पर छा जाएं,
हम हिंदी को अपनाएं ये हमारी राष्ट भाषा हो।।
मोहित जागेटिया

चन्द्रयान की असफलता पर

चाँद से हार नही मानी कह दो चाँद से फिर आएंगे।
कामयाबी का फिर वही इरादा ले सफलता पाएंगे।
चाँद  से  सम्पर्क  टूटा  है  कोई  संकल्प  नही  टूटा,
एक दिन फिर से हम उसी चाँद पर तिरंगा लहरायेंगे।।
मोहित जागेटिया

Monday, September 2, 2019

गणेश चतुर्थी

*🌹🌹*गणेश चतुर्थी*🌹🌹*
     02/09/2019 सोमवार
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
*विषय----- गजानन  (दोहा छन्द)*
आप सबको गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं।।
भगवान गणेश सबका मंगल करें।

मंगल हो मंगल करें ,हम ले उनका नाम।
करें गजानन हम नमन,मंगल होगा काम।।

हे गणपति करना दया,ये विनती हर बार।
दूर कष्ट सब ही करो,खड़े तुम्हारे द्वार।।

प्रथम पूज्य तुम देवता, रहते तुम हर द्वार।
गली,शहर हर गूँजता,जय गणेश जयकार।।

लम्बोदर हे नाथ तुम, तुमको नित्य प्रणाम।
दूर विघ्न बाधा करें,होय सफल सब काम।

मोहित जागेटिया

🙏

Sunday, September 1, 2019

अतुकांत कविता

अप्रतिम छवि
प्रकृतिअनुकूल वातावरण
संध्या,,,,
पंछी लौट रहें थे
अपने अपने घर!
ची ची की आवाज का
मधुर गान का स्वर
पंछी से गुज रहा था।
मौसम सुहाना
बारिश का आना लग रहा था
कुछ पल
पहले बहुत उमस
बाद में ठंडी ठंडी हवा की
लहरें।
मैं अपने आंगन की छत से
प्रकति की शोभा को
निहार रहा था।।
आसमान के बादल काले हो रहे थे
हरियाली से धरती का श्रृंगार हो रहा था
पास ही सरोवर की लहरें
किनारों से मिलने को बेताब हो रही थी।
देखने मे ऐसे लग रहा था
गगन कोई प्रिय और
ये धरती प्रेयसी दिख रही थी।
ये धरती सोलह श्रृंगार कर बैठी थी
काले बादल बारिश बन कर
प्रेयसी से मिलने को बेताब लग रहा था।।
वो ही संध्या आरती का समय
आरती की घण्टी,शंख,,,उनका गान
कर रहें थे।।
मोहित जागेटिया