आखों में आँसू है
दिल मे दर्द है
जाने क्या बात है ?
ग़म की तन्हाई में
गुजरी मेरी हर
एक ये रात है ।
खामोश था
कुछ नहीं कहता था
कैसी ये मुलाकात है ?
भीगी आँखों से
ग़म छलकता है
कैसी ये बरसात है ?
मुसीबतों से भरे
जिंदगी के शायद
मेरे ये हालात है।।
मोहित जागेटिया