मोहित जागेटिया
भीलवाड़ा(राजस्थान)
*************************************************
मैं राष्ट्र वंदना करता हूँ शब्दों के सुमन से,
भारत की महिमा गाता हूँ नव नित्य सर्जन से।
ये तपोभूमि है ऋषियों-मुनियों की वाणी से,
पाप मिटता गंगा,यमुना के अमृत पानी से।
प्रेरणा मिलती बलिदान वीरों की कहानी से,
भारत की वंदना करता हूँ अमर निशानी से।
ये जीवन काम आता है कभी राष्ट्र जीवन से,
भारत की महिमा गाता हूँ नव नित्य सर्जन से।
पहचान गीता का उपदेश वेदों का ज्ञान से,
यहाँ शांति मिलती देवताओं और भगवान से।
सबका पेट भरता यहाँ किसान अपने धान से,
गगन में लहराता तिरंगा अपनी ही शान से।
इस माटी को नमन करता हूँ मैं तो तन मन से,
भारत की महिमा गाता हूँ नव नित्य सर्जन से।
आध्यात्मिक का संदेश जाता भारत धाम से,
भूमि महान हुई मर्यादा पुरुषोत्तम राम से।
कण-कण में प्रेम बसा ग्वाल राधिका घनश्याम से,
देश भारत महान हुआ जवान किसान नाम से।
मैं वंदना का स्वर गाता हूँ शब्दों के वंदन से,
भारत की महिमा गाता हूँ नव नित्य सर्जन से॥