प्रातः वंदन करता हूँ तुमको
प्रातः सुमिरन करता हूँ तुमको।
ज्ञान का दीप जलाने वाली
अंधकार को मिटाने वाली।
तेरी चरणों में आज प्रणाम
तेरी चरणों को आज सलाम।
गीतों को स्वर बनाने वाली
शब्दों को स्वर सजाने वाली।
माँ गीत ग़ज़ल बनाने वाली
सबको सफल बनाने वाली
तेरी चरणों में आज प्रणाम
तेरी चरणों को आज सलाम।
शारदे कमल पर विराजमान
हम सबको देना तुम तो ज्ञान।
श्वेत वस्त्र और पुष्प धारिणी
माँ वीणा और हंस वाहिनी
तेरी चरणों को आज प्रणाम
तेरी चरणों को आज सलाम।
मोहित