मेरी जिंदगी की मैं आज खुद कहानी लिख रहा हूँ,
जब से चला हूँ सफर में मैं वो निशानी लिख रहा हूँ।
हर दौर से गुजरा है इस जिंदगी का वक्त का सफ़र,
मुश्किल में उलझी सुलझी ये जिंदगानी लिख रहा हूँ।
खुद को कभी भी गिरने नही दिया जीवन के सफ़र में,
मैं सफ़र तक जाने हौसलों की रवानी लिख रहा हूँ।
मेरे जीवन की हर राह आसान बनानें के लिए,
दिल से आज तुम्हें ही मैं अपनी रानी लिख रहा हूँ।।
उसके आने से ये जिंदगी फूलों सी महक आई,
ये हक़ीक़त मेरी जिंदगी की जुबानी लिख रहा हूँ।
मैंने जिन सपनों को नजरों में कभी सजाया था
आज उन सपनों को आँखों का मैं पानी लिख रहा हूँ।
कोशिश करने से हर मुश्किलें आसान हो जाती है,
जिंदगी की ये सच्चाई एक कहानी लिख रहा हूँ।
मोहित जागेटिया