Wednesday, February 24, 2021

वो जान कर भी अनजान है

वो जान कर भी क्यों मुझे से आज अनजान है।
खामोश लबों से लगता जैसे बेजुबान है।
किस बात की सजा रोज-रोज मुझे वो दे रहे,
जिंदगी उनके संग जीना नही आसान है।।

लगता है जीवन मेरा उनसे तो हार गया।
अपनों का दर्द ही आज अपनों को मार गया।
कैसे करे जिंदगी का आगे का सफर आज,
ये सफर उनका न इस पार न उस पार गया।।

किस लिए हम को चुना जब दिल में नही प्यार था।
सब कुछ पहले ही बता देते जब अधिकार था।
अब क्या?करना सोच लो,कर लो फैसला जो करना,
अगर अब भी न समझे तो ये जीवन बेकार था
मोहित जागेटिया


वसंत

 प्रकति के रूप का नही कोई अंत है।
खिलती धरा का श्रृंगार भी अनंत है।
पुष्प से महकता पराग पवन गुलजार,
प्रेम उत्साह का मौसम ये वसंत है।।
मोहित जागेटिया

असर जीवन पर होगा


उनकी यादों में मेरी यादों का सफर होगा।
जो भी होगा उसमें कुछ तो ये ही मगर होगा।
जब जिंदगी भर अहसास होगा बीते वक्त का,
उन बातों ही बातों का असर जीवन पर होगा।।
मोहित जागेटिया

पुलवामा


हम कैसे भूलें पुलवामा,जिसमे वीर सपूत खोए थे।
देख वीरों की चिंताएं मन ही मन में कितने रोए थे।
करते है बलिदानी वीरों को शत शत नमन,ओढ़ तिरंगा,
वो भारत माँ की गोद में आज गहरी नींद में सोए थे।।
मोहित जागेटिया

Friday, February 12, 2021

न वो स्वीकार

मैं लड़ाई लड़ रहा उनसे जिनसे न जीत न हार है।
मेरी मोहब्बत का सफ़र इस पार नहीं उस पार है।
आज किस बात की सजा दे रही मेरी जिंदगी मुझें,
न उसको में स्वीकार हूँ न मुझे वो कहीं स्वीकार है।।
मोहित जागेटिया

शादी की सालगिरह की बधाई


मोहब्बत की कलियां दिलों के उपवन में खिल जाएं।
सारी खुशियों का बंधन ईश्वर हमेशा सिल जाएं।
प्रणय परिणय की पावन जयंती पर शुभकामनाएं,
रब से ही ये दुआ तुम्हें जो चाहे वो मिल जाएं। 
मोहित जागेटिया

आप सबकी शुभकामनाएं का असर हो जाएं।
सलामत जीवन का ये हमारा सफर हो जाएं ।
सबका ये प्रेम,स्नहे, साथ हर पल विश्वास रहे,
आज खुशियों का ये सागर अब संदर हो जाएं ।
मोहित जागेटिया

Friday, February 5, 2021

कैसा सफ़र

कैसा सफ़र

क्या तकदीर के मेले है
क्यों तकदीर में अकेले है
चल रहे जिन राह पर
सर्प भी विषैले है।
मेरे ईश्वर इतने दिन
क्यों बुरे आये है
हम नहीं थे कभी इतने बुरे
जितने ये दिन बुरे है।
इन राहों से फूल हटा कर
आज मेरी राह में क्यों
शूल बिछाएं।
तड़पता ये दिल है
रो रही आँखे है
समझ कुछ नहीं पा रहे
जीवन में क्या क्या हो रहा।
ईश्वर तेरा कैसा खेल
तकदीर ने जब तस्वीर
से मिलाया था
उस बंधन को सबंध बनाया था
फिर जीवन संग जीवन क्यों नहीं।
क्या रोना ही जिंदगी में लिखा है।
मोहित जागेटिया


क्या लिखा है भगवान

क्यों उसके दिल में बैठा है कोई तो शैतान।
जो कर रहा है मुझे बार बार वही परेशान।
मेरा हो कर भी कभी मेरा हो नही सका है,
मेरी तकदीर में ऐसा क्या लिखा है भगवान।
मोहित जागेटिया