वो जान कर भी क्यों मुझे से आज अनजान है।
खामोश लबों से लगता जैसे बेजुबान है।
किस बात की सजा रोज-रोज मुझे वो दे रहे,
जिंदगी उनके संग जीना नही आसान है।।
लगता है जीवन मेरा उनसे तो हार गया।
अपनों का दर्द ही आज अपनों को मार गया।
कैसे करे जिंदगी का आगे का सफर आज,
ये सफर उनका न इस पार न उस पार गया।।
किस लिए हम को चुना जब दिल में नही प्यार था।
सब कुछ पहले ही बता देते जब अधिकार था।
अब क्या?करना सोच लो,कर लो फैसला जो करना,
अगर अब भी न समझे तो ये जीवन बेकार था
मोहित जागेटिया