Friday, December 27, 2019

राज हमारा होगा

सबके दिल पर राज रहें वो राज हमारा होगा।
मगर कल जिनका था वो राज आज हमारा होगा।
दिल से सत्ता की गलियों में गुजरा करते है हम,
दिलों पर जिनका राज था वो ताज हमारा होगा।।
मोहित जागेटिया



Tuesday, December 24, 2019

CAA पर मुक्तक दंगे

आग लगा कर तुम क्यूँ देश जलाते हो ?
अपने हो कर आज पराये बन जाते हो ।
इस मोहब्बत की मिट्टी से नफ़रत क्यूँ ?
जब वतन के गीत तुम सब भी गाते हो ।।

-- मोहित जागेटिया

कुण्डलिया छंद

            कुण्डलिया छंद
(1 )
देश कहानी लिख रहें, हमारे भी जवान।
दी जान देश पर लुटा ,रहें देश का मान।।
रहें देश का मान,अभिमान खुद पर करते।
उनका हो सम्मान,वतन पर वो जो मरते।।
दिल मे रहता देश,हाथों में वो जवानी।
हो उनका गुणगान,हो अमर देश कहानी।।

(2)
वो घर हो संस्कार का,मिलें जहाँ पर प्यार।
हो जो भी अच्छी शिक्षा,मिलें वो बार बार।।
मिलें वो बार बार,जहाँ पर जीवन दिखता।
रास्तें हो बेजान,वही पर अनुभव मिलता।।
सुंदर हो संसार,जहाँ जीवन जाएं तर।
सुख के सारे द्वार,स्वर्ग होता है वो घर।।

(3)
रहता आँगन घर खुला, निर्धन उसको जान।
छोटा ही संसार है,सच्ची वो मुस्कान।।
सच्ची वो मुस्कान,सारा दर्द वो गाता।
होता एक गरीब,दर्द को ले कर आता।।
सहने को मजबूर,वो सुखी बन सब सहता।
भूखा ही परिवार,दिल मे बस दर्द रहता।।

(4)
बंधन रिश्ता जोड़ कर,करते हम सम्मान।
अपना कर वो जिंदगी,बहु हो सबकी शान।।
बहु हो सबकी शान,बिना देहज अपनाएं।
रिश्तों का वो मान, बेटी किसी घर आयें।।
बेटी कन्यादान,वही बंधन है वन्दन।
जो हमको स्वीकार,दिल से जुड़े वो बंधन।।

(5)
मां जैसा कोई नही,मां बच्चों की जान।
माँ तुम तो महान हो,हो तुम ही भगवान।।
हो तुम ही भगवान,सपनों का संसार हो।
मिलता हमको प्यार, माँ तुम वो बौछार हो।।
माँ को दे मुस्कान, हम ध्यान दे माँ वैसा।
माँ खुद ही अवतार,कोई नही माँ जैसा।।

(6)
मां ममता है दया है,मां ही चारों धाम।
मां हैं पूजा वंदना ,मां से सबके काम।।
मां से सबके काम,उतारे अपनी नजरें।
होता मां का प्यार, टले हैं उससे खतरे।
भरा प्रेम वात्सल्य ,दर्द दुख की समता है।
मां श्रद्धा का फूल,प्यार ही माँ ममता है।।

(7)
धरती का वो लाल है, हम सब की है शान।
आन बान औ शान वो , वह  देश का किसान।।
वह देश का किसान ,हम सबका भगवान है।
किसान से है धान ,धन्य  आज ईमान है।।
कह मोहित कविराय,,प्यार लगन श्रम हरती।
जब ढल जाती शाम, तब करती प्यार धरती।।

(8)
आज बधाई जो मिली,मुझे खूब स्वीकार।
तन मन से  है शुक्रिया,तहदिल से आभार।
तह दिल से आभार, आप भी सदा मौज में।
मिलें जु खुशी हजार, बनी रहें जो रोज में।।
धन्यवाद स्वीकार ,बना रहें मेरा ही काज।
बना रहें ये प्यार, कल जो था वो ही आज।।
मोहित जागेटिया

(9)
हर गाँव गली शहर हो,स्वच्छता रहें द्वार।
सुंदर हो वातावरण,स्वच्छ रहें परिवार।।
स्वच्छ रहें परिवार,नही बीमारी आएं।
होता सम्मान जब,खुशबू से महक जाएं।।
साफ करें गन्दगी, दिल मे हो सबके भाव।
होती इसमें शान,आगें आये हर गाँव।।
मोहित जागेटिया


जब हर बेटी को मिले,ज्ञान और सम्मान
जो बेटी को प्यार दे,पाएं वो मुस्कान।।
पाएं वो मुस्कान,हर बेटी को पढ़ाओ।
दे सारे अधिकार,उसको आगें बढ़ाओ।।
बेटी से हो प्रीत,सम्मान होगा सच अब।
कैसे होगा आज,बेटी नही होगी जब।।
मोहित जागेटिया



            """स्वच्छता""
घर गाँव शहर वह गली,स्वच्छता रहें द्वार।
सुंदर हो वातावरण,स्वच्छ रहें परिवार।।
स्वच्छ रहें परिवार,नही बीमारी आएं।
होता जब सम्मान ,खुशबू से महक जाएं।।
करें गन्दगी साफ, ये भाव सबके अंदर
होती इसमें शान,आगें आएं गांव घर।।


                   नशा
जैसे जैसे बढ़ रहा,बिगड़ रहे परिवार ।
बीमारी का घर नशा,जीवन जाए हार।। 
जीवन जाए हार,जब कभी खुद खोयेगा
रह जाएं बस नाम,परिवार घर रोयेगा।।
कैसे हो उद्धार, जब नही होगा वैसे।
नशा छोड़ कर आज,जिंदगी हो सच जैसे।।
जब कभी खुद खोयेगा


                वृद्धाश्रम
कैसा दिन ये आज है,बदला समाज रूप ।
माँ-बाप वृद्धाश्रम में,मिलती उनको धूप।।
मिलती उनको धूप,नही होगी अब छाया।
बहुत दिया था प्यार,आज रोती वो काया।
उदास है दिन रात,नही हो कोई जैसा।
मिल जाये वो प्रीत,जो गया अपना कैसा।।
मोहित जागेटिया
















कुण्डलिया छंद

1                  "शिक्षा'
घर बनता संस्कार से,जहाँ पनपता प्यार।
अच्छी शिक्षा हो वहाँ,महक उठे संसार।।
महक उठे संसार ,ज्ञान से जीवन खिलता।।
फैले ज्ञान प्रकाश ,वही पर अनुभव मिलता।।
कह मोहित कविराज,जहाँ जीवन जाये तर।
खुले सुखों के द्वार, स्वर्ग बनता है वो घर।।

2                       ""गरीब""
रहता आँगन घर खुला, निर्धन उसको जान।
छोटे से संसार की ,सच्ची वो मुस्कान।।
सच्ची वो मुस्कान, हृदय की पीर सुनाता।
सहता कितने कष्ट, भाग्य में दुख है पाता।।
कितना है मजबूर,दर्द को हँसकर सहता।
सुखी रहे परिवार, सोचता हर पल रहता।।


3  स्वच्छता
गाँव शहर की हर गली,स्वच्छ रहें घर द्वार।
सुंदर हो वातावरण,सुखी रहे परिवार।।
सुखी रहे परिवार,नही बीमारी आए।
बचा धरा सम्मान ,फूल सी महकी जाए।।
करें गन्दगी साफ,चमकती दिखे हर डगर।
फैलाओ संदेश , स्वच्छ हों गाँव औ शहर।।

4      वृद्धाश्रम
कैसा हुआ समाज है ,बदला कितना रूप ।
माँ-बाप वृद्धाश्रम में,सहते जीवन धूप।।
सहते जीवन धूप,नही होगी अब छाया।
बहुत दिया था प्यार,आज रोती वो काया।
बहे नयन दिन रात, अँधेरा छाया ऐसा।
निकले प्रतिपल प्राण,कुपुत्र मिला है कैसा।।

 5       नशा
जैसे ही करता नशा,मिट जाता परिवार ।
बीमारी का घर रहा,जीवन जाए हार।। 
जीवन जाए हार, नशे में सब खोयेगा
रह जाए बस नाम,भाग्य खुद पर रोयेगा।।
कैसे हो उद्धार, मिले छुटकारा कैसे।
जीवन है लाचार ,जिंदगी बची न जैसे।।

नाम:-मोहित जागेटिया
जिला भीलवाड़ा राज.

Tuesday, December 17, 2019

ग़ज़ल(वो प्यार हमारा अमर होगा)

आज प्यार का सफ़र अब हमसफ़र होगा ।
कल तक जो उधर था अब वो इधर होगा ।

रिश्तों का आँगन सज कर जहाँ रहेगा ,
वो हमारी दुनिया का आज घर होगा ।

जिस सफर में जीवन साथी साथ होगा ,
वो सफ़र तो अपना जीवन भर होगा ।

जो कल तक वही गाँव में रहते थे वो ,
उसकी खुशबू से महकता शहर होगा ।

रिश्तों को जोड़ कर रखेगा जो बँधन ,
सच में वो प्यार हमारा अमर होगा ।

गठबँधन दो दिलों का होगा प्रेम से ,
क्या ख़ूबसूरत रिश्तों का मंज़र होगा ।

जो संबंध समाया दिल की धड़कन में ,
उस रिश्ते का ज़िंदगी में क़दर होगा ।

-- मोहित जागेटिया
   भीलवाड़ा राज.

नफ़रत मिटा दो

जो लोग नफ़रत फैला रहें हैं
वो आग लगा रहे
जो देश जला रहे हैं
वो दुश्मन देश के
क्या भला इसमें ।
जो इस तरह विरोध कर रहे
इस में देश का नुकसान हो रहा
क्या वो ये नहीं जानते हैं देश कैसे बना ?
लड़ाई लड़ो तुम अपने हक की
मगर ऐसे नहीं जिसमें देश टूटे
नफ़रत की आग इंसान जला देगी
हिंसा किसी समस्या का समाधान 
नहीं होती है।
जो भड़का रहे हैं
वो देश को क्या दिशा दे रहे
नफ़रत का विष घोल कर
देश तोड़ रहे हैं ।
शांति के रास्ता चुनो
नफ़रत वालों की मत सुनो
नफरत मिटा कर सब
प्यार का फूल खिला दो ।।
मोहित जागेटिया

Thursday, December 5, 2019

सब कुछ छोड़ कर

सब कुछ छोड़ कर क्यों हम से वो हार जाते हैं ।
मेरी ख़्वाहिश के लिए ख़ुद को मार जाते हैं ।
मेरी धड़कन मेरी साँसों से उनके रास्ते ,
मेरी इच्छा बिना कभी नहीं पार जाते हैं ।।

-- मोहित जागेटिया

Monday, December 2, 2019

बेटी हो कर मैं शर्मिदा हूँ(हैदराबाद की घटना पर)

"मैं बेटी हो कर शर्मिंदा हूँ"
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मेरी अस्मत से खेल कर
क्यों हो बार बार जिंदा ?
जबकी मैं हर बार मर जाती हूँ
मैं बेटी हो कर शर्मिंदा हूँ !
कहाँ पर अब खड़ी हूँ,
डर लगता है कहाँ पर अब रहूँ ।
सोचती हूँ ! क्यों ? आई मैं इस दुनिया में ?
हैवानियत की हर घटना को
देख कर मेरे अंदर ये सवाल होता है।
वो हैवानियत की घटना
जिसने मेरे जिस्म से खेल कर
मुझें अग्नि में जला दिया जाता है।
क्यों भूल जाते हैं वो शैतान
कल उनके घर में भी को कोई
बेटी,बहूँ, माँ एक नारी रहती होगी
कब तक मैं ऐसी वेदना झेलती रहूँगी ?
मैं जीत कर आई थी दुनिया में
आज हार कर जा रही हूँ अब
जिस दिन ऐसी घटनाओं के
दरिन्दों को खुले चौराहे पर
लटका दिया जायेगा उस दिन
में हार कर जीत चाहूँगी ।
लेकिन मैं कब सुरक्षित हो जाऊँगी ?
किस दिन समाज में ये संदेश जाएगा ?
जिस दिन लोगों के हृदय में भय,कानून का डर आयेगा।
बुरे काम का बुरा परिणाम होता है
ये भाव हर इंसान के अंदर आ जायेगा ।।

-- मोहित जागेटिया
भीलवाड़ा राजस्थान
पिन 311011

Sunday, December 1, 2019

भूल मत जाना

भूल गई हो या भुला दिया है
याद नही रहा याद करना
वक्त बदला हैं तुम न बदलो
याद है याद कर लेना।
जो चाहत दिल में है
वो चाहत दिल से है।
आज हूँ मैं जो कल था
वैसे रहूंगा कल भी।
ये जीवन को बस
यादों में याद करेगा
गुजरा हुआ ये पल।
भूल मत जाना
भूल कर तुम
भी.......अब
मोहित जागेटिया