Thursday, March 16, 2017

किसान

अपनी बेबसी पर खुद ही रोता है
सुकून की नींद कभी नही सोता है।
मेहनत के दम पर वो खुद पलता है
खुद की नजरों में वो ही फिसलता है।
जब  कुदरत अपना कहर बरसाती है
हकिगत भी सपनों  से  दूर जाती  है।
जब  ज्यादा  खेत  में  बारिश  होती है
सूखे  को  देख  आँखे  भी  रोती  है।
नही अपने माल का भाव मिलता है
हर वक्त अपने काम का ताव मिलता है।
ऐसी  है  मेरे  किसान  की  हालात
जो बिन मौसम पर होती है  बरसात ।
आज देश का किसान बदहाल मिलता
कही नही वो हमको खुशहाल मिलता।

मोहित

No comments:

Post a Comment