Friday, April 30, 2021

तुम्हें लिखता रहा हूँ


तुम्हें लिखता रहा हूँ
मैं मेरे शब्दों में,
तुम्हें सजाता रहा हूँ
मेरी कविताओं में,
तुम्हारा हर पल अहसास
होता रहा है
मेरी किताबों में,
तुम्हें गाता रहा हूँ
दिल के सुकून के लिए,
तेरी आहट
मेरी कलम में आ रही है...!

-- मोहित जागेटिया

Thursday, April 22, 2021

हे ईश्वर

मोहित जागेटिया
भीलवाड़ा(राजस्थान)
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*हे ईश्वर! आप तो दयावान हो*
हे ईश्वर…इस मानव जाति पर आए संकट को हरने के लिए अब आप सबकी सुनो। हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है। इस विपत्ति से हर इंसान घबरा गया है। दुनिया में ये आपदा धीरे-धीरे भयानक होती जा रही है। हर इंसान चीख रहा है और सुनने वाला कोई नहीं है। इस महाबीमारी ने सबको अकेला कर दिया है और प्रकृति के करीब कर दिया है।
हे ईश्वर! इंसान ही गलतियां कर रहा था। प्रकृति को नुकसान पहुँचा रहा था और आज इस बात पर विचार कर रहा है कि हमने प्रकृति से क्या-क्या छीन लिया है और प्रकृति को क्या दिया है ?
पेड़-पौधे,नदियाँ,पहाड़ सबको इंसानों ने नुकसान ही पहुँचाया है। इसलिए,आज इंसान ही प्राण वायु (ऑक्सीजन) के लिए तरस रहा है। दुनिया की भीड़-भाड़ में खो गया था। आज उसको अहसास हो रहा है। आज जो ख़ुद को अकेला कर रहा है,वो ख़ुद को सुरक्षित महसूस कर रहा है। जो इंसान परिवार से दूर चला गया था,उससे भी परिवार अच्छा महसूस कर रहा है। परिवार के साथ का समय उसको सुख का अनुभव करा रहा है।
हे ईश्वर! इंसान हैं…गलतियाँ हो सकती हैं,भूल हो सकती है। आप तो दयावान हो,सबको माफ़ कर सकते हो।
हे ईश्वर! इंसानों द्वारा हुई हर गलती के लिए हम हाथ जोड़ कर विनती करते हुए क्षमा-याचना माँगते हैं। आप तो दयालु हो,बस अब तो आप दया कर दो और इस ‘कोरोना’ नाम की महाबीमारी को विलुप्त कर दो। इस बीमारी को समाप्त करके सबके चेहरे पर मुस्कान भर दो। अब तो बस करो ईश्वर,अब तो सबकी पुकार सुन लो। आपने ही कहा था जब-जब सच्चे मन से कोई पुकारेगा,उसकी सुनने आऊँगा। अब तो सुन लो भगवान,वरना अब लोगों का विश्वास भटक रहा है। श्मशानों में स्थान नहीं बच रहा है। चिताओं पर चिताएँ जल रही हैं। अब तो ईश्वर अपनी शक्तियों से इस महाबीमारी से मुप्ति दिला दो।
अब बहुत कुछ सीखेगा इस कोरोना काल से इंसान, आत्मनिर्भर होगा इंसान। कोरोना काल बता जाएगा कि,ख़ुद की आवश्यता ख़ुद से कैसे पूरी होती है। शहर से गाँव की जिंदगी कितनी अच्छी होती है,कम संसाधनों में कैसे आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। अपने ही अपने होते हैं,हर तरह की शिक्षा दे रहा है ये कोरोना।
हे ईश्वर…
*आशाओं का फिर आज सूरज उगा दो,*
*जग के अंधियारे को अब तुम मिटा दो।*
*निकल आएं नई रोशनी मुस्कान की-*
*एक दीप अब ऐसा भगवान जला दो॥*

राम नवमी की ,,,,,


*रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं।।*

*जो अपने तप त्याग का,बड़ा रहा वो नाम।*
*शक्ति का भाव साधना,वो प्रभु है श्री राम।।*

*अंनत मन के भाव में ,सदा बसे श्री राम।*
*श्री चरणों में नमन है,नित्य करते प्रणाम।।*
मोहित जागेटिया


मेरे  मन  के  मंदिर  में  वो  हमेशा  धाम  है।
देश  प्रेम, मर्यादा  का  एक  ही  वो  नाम  है।
जिनकी निज चरणों में शीश झुका प्रणाम करते
जिनके  नाम  से  पत्थर  भी  तरते  वो  राम  है।
मोहित जागेटिया

खुद को बदलना


उसको ख़ुद अब बदलना होगा ।
सफ़र में जब भी चलना होगा ।
इस अंधेरी रातों से आज ,
सूरज बनकर निकलना होगा ।।

-- मोहित जागेटिया

नुकसान



मेरी मंजिल मेरा सफ़र नहीं आसान है।
आज चलना फिर रूकना ये ही नुकसान है।
ख़ामोश लब पर कुछ कह पाना आसान नहीं,
हर गम में भी मुस्कराना आज पहचान है।
मोहित जागेटिया




Monday, April 19, 2021

चिताएँ जल रही है

फिर से ये कैसी अब हवाएँ चल रही है।
देख रहे है कितनी चिताएं जल रही है।
सबने सोचा था अब तो कुछ अच्छा होगा,
बीते वक्त की कहानी फिर निकल रही है।
मोहित जागेटिया


Sunday, April 4, 2021

मन की वेदना

दिल की वेदना
मन की लालसा की
संवेदना सता रही है।
वासना की,
उपासना दिल का दर्द
बता रही है।
मन का भाव
शब्दों से
प्रभाव लगा रही है।
आहट उसकी
राहत सकून से
आ रही है।
उसके भाव से 
मन विभोर हो गया।
संवेदना से उसकी
स्वप्न साकार 
हो गया।

-- मोहित जागेटिया