Mohit jagetiya
Monday, March 21, 2022
मुक्तक
*मुक्तक...*
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शाम ढ़ले तो में रात का एक तारा बन *जाऊँगा* ।
चांदनी रात में सितारों का दुलारा बन *जाऊँगा* ।
वो रात हमारी खुशनुमा होगी सितारों के बीच ,
वो रात ढले तो में सूरज का प्यारा बन *जाऊँगा* ।।
*-- मोहित जागेटिया*
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