संग जीने का वही बहाना मिल जाएं।
यार जिस सफ़र पर हम-तुम चल रहें थे वो,
फिर मेरी दोस्ती का खजाना मिल जाएं।
उसी यादों का फिर फ़साना मिल जाएं।
वो हँसी,बातें, वो जमाना मिल जाएं।
ये दुआ है बस इतनी मेरी ईश्वर से,
फिर से दिल से वो नजारा मिल जाएं।
मोहित जागेटिया
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