Mohit jagetiya
Friday, September 3, 2021
राधिका संग होता
मन में कितना सकूँन होता,
जब मैं भी राधिका संग होता।
न कोई वेदना होती,
नही विरह में अब मैं रोता।
कान्हा तुम तो आ जाते,
मेरी पुकार सुनने को अब तो।
अगर साथ तुम देते तो,
कभी ये मन इधर उधर न खोता।
मोहित जागेटिया
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