Saturday, August 21, 2021

मेरी हकीकत कहानी


ज़िंदगी हसीन थी । कहीं ख़्वाब तो कहीं सपने थे । हर ख़्वाहिश उम्मीदों से भरी थी । ज़िंदगी की दास्तान मोहब्बत के सफ़र से अधूरी और पूरी थी ।

           ज़िंदगी का सफ़र कैसे कटा ये हक़ीक़त...मेरे ही लफ़्जों से...मेरी ही कहानी...

          सन 1 जुलाई 2019 से सफ़र की शुरुआत पहली मुलाकात से हुई । उसको पहली बार देखा था और 11 जुलाई 2019 को वो मेरी ज़िंदगी का एक हिस्सा बन गई । सगाई उसके साथ हुई । मोहब्बत के सफ़र की शरुआत हो गई ।

            ज़िंदगी हसीन दिखने लगी , चाहत के अरमान सजने लगे । जीवन की उम्मीदों के सागर की तरह दिल की लहरें एक मन से दूसरे मन से मिलने लगी । 

          9 फरवरी 2020 वो लड़की मेरी ज़िंदगी बन गई ।जीवन के सफ़र की एक शरुआत हो गई । अब उम्मीदों के पंख उड़ने लगे । दिल की चाहत हकीकत बन रही थी । ज़िंदगी के सफ़र में हर मोड़ आसान नहीं था । कभी खुशी कभी ग़म के साथ ज़िंदगी आगे बढ़ रही थी । हमारी आपस में कभी बनती तो कभी बिगड़ती... बस...ऐसे ही ज़िंदगी का सफ़र आगे बढ़ रहा था ।

              हम पति-पत्नी थे तो स्वाभाविक है कभी लड़ाई भी होती थी तो कभी हम बहुत अच्छे से भी रहते थे लेकिन शादी के बाद उसकी हर हकीकत से पूरी तरह वाकिफ़ होने लगा था और मुझसे लड़ाई का कारण मैं अच्छी तरह जान गया था । मैं चाहता था जैसा भी है हमारा रिश्ता अब बचा रहे और बना रहे । कई बार समझाया , लड़ाई-झगड़े को सुलझाने की कोशिश की लेकिन झूठ के दीवार पर हर रिश्ता कब तक बना रहता... ये मैं अच्छी तरह समझ गया मगर वो नहीं समझ पाई । हर बार हमसे झूठ बोलती रही ।

            और आखिरकार उसने हमारी ज़िंदगी के साथ असली खेल खेलना शरू कर दिया था ।2021 में अंतिम अप्रैल के बाद हम बहुत अच्छे से रहने लगे थे ।वो हमारे साथ खुल कर ज़िंदगी जीने लगी थी । हमनें सोचा कि  अब तो हमारा रिश्ता मजबूत हो गया , अब कोई परेशानी नहीं है ।

           खुल के बातें करना , अच्छी तरह रहना... ये सब... शायद उसका नाटक था लेकिन मैं ही उसके प्रेम को हक़ीक़त मान गया था और मानता भी क्यों नहीं ??

              वो एक पत्नी थी । एक अच्छी ज़िंदगी का मेरा सपना था । एक उम्मीद थी जिसको मैं उसके साथ जी रहा था...लेकिन ज़िंदगी में एक दिन ऐसा भी आएगा ऐसा मैंने सपने में भी नहीं सोचा था । कल्पना भी नहीं किया था कि मेरे साथ इतना बड़ा धोखा हो जाएगा । जिससे मैंने प्यार किया वो मेरे अलावा दो परिवारों के साथ ऐसा भी कर सकती है ।

            ऐसी घटनाक्रम के लिए ज़िंदगी हमें चुनी है इस बात से हम अनभिज्ञ थे । वो 13 अगस्त 2021 का दिन मेरे लिए सबसे बुरा दिन था । मेरे हर सपने को तोड़ गई एक ही झटके में... मेरी उम्मीदों के पंख टूट गए थे...मेरी ख़्वाहिश चकनाचूर हो गई थी...
जब मेरी मोहब्बत मेरी न होकर किसी और की हो गई । मेरे साथ बहुत बड़ा अन्याय कर गई । मेरी ज़िंदगी और परिवार वालों के साथ बहुत बुरा हुआ जो इस तरह  साथ फेरों के सफ़र को छोड़ कर वो कहीं और चली गई ।

               अगर उसको ऐसा ही करना था तो मेरे साथ वो 18 महीने 4 दिन के सफ़र को मेरी ज़िंदगी के साथ क्यों जोड़ा था ?जब उसको अपने रास्ते का पता था तो क्यों हर किसी को बर्बादी की...? क्यों ज़िंदगी की और पैसों की बर्बादी की...? क्यों सपने दिखाए...? क्यों ज़िंदगी में आई...? क्यों मेरी ज़िंदगी में रौशनी का दीप जला कर अंधकार कर गई...? क्यों दो परिवारों के बंधन को तोड़ गई...? अगर ऐसा ही करना था तो क्यों रिश्तों के उपवन में मोहब्बत के फूल का पौधा लगाया था...??

            हम दिल से कहते हैं कि  उसको हमनें या परिवार ने तनिक भी कोई मुसीबत उसकी ज़िंदगी में आने नहीं दी थी । उसकी हर ख़्वाहिश को पूरा किया था । वो ज़िंदगी को अच्छे से खुशी पूर्वक जी रही थी...

              मगर मन की भावनाओं को कौन समझ सकता है ? मन के अंदर किसके क्या चल रहा है...? इसको कोई भी कभी पहचान पाया है भला...??

              मगर अब... ज़िंदगी की उम्मीदों का और हालातों का सफ़र थम सा गया है । दर्द का समंदर दिल के दर्द से भर गया है । मेरी ज़िंदगी के एक दौर का मानो आज समापन हो गया है...

"मेरी ही आँखों का ये पानी है ।
मेरे दर्द की सच्ची कहानी है ।
ज़िंदगी के हालात की कैसी ये,
हाथों के सफ़र की ये रवानी है ??"

रिश्तों की ज़मीन पर ये कैसी बग़ावत मिली है।
कभी जिसकी चाहत जो थी उनसे नफ़रत मिली है।
सोचो नहीं था ज़िंदगी में ऐसा भी सफ़र कभी,
मासूम चेहरे से सज़ा और शिकायत मिली है।
मोहित जागेटिया

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