Wednesday, April 26, 2023

अतुकांत कविता


बहुत दिनों से कलम 
भी ख़मोश रहती है
कुछ ऐसा लिखूँ कि
मेरा गीत बन जाए
सोचता हूँ ऐसा आज 
मैं क्या लिखूँ कि
मेरे लफ़्ज़ कागज़
पर उतर जाए ।
भावना बन जाए
हर दीन-दुखियों की
आवाज़ बने हर जन-जन की ।
कुछ ऐसा लिखूँ कि
सबकी आशाओं की
उम्मीद बन जाए ।

*-- मोहित जागेटिया*

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