ये मौसम भी वही है, ये दिन और रात भी वही है।
सबका देखने का नजरिया और हालत भी वही है।
वही कल था, वही ये आज है,कैसा ये वो नव वर्ष,
रोज आता वही जिसकी फिर सुबह शाम वही बात है।
मोहित जागेटिया
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