हर बार हिन्दू मारा जा रहा है।
जो लोग कहते थे,
आतंक का कोई धर्म नहीं
देख लो, आँखें खोल कर,
नाम, जाति, धर्म पूछ कर गोली
मार वो आतंकी गये.
पहलगाँव में सैलानियों
पर ये हमला कायरतापूर्ण था।
काश्मीर की सुंदरता को,
नई-नवेली दुल्हन साजन संग
सँवार रही थी।
नये सपनों की उड़ान ले कर
काश्मीर की सुंदरता देखने आई थी।
सोचा न था, नये सपनों को
बीच सफ़र में वो कायर दुश्मन कुचल देंगे।
जीवन के सफ़र का
वो नाम पूछ कर अंत कर देंगे।
भारत माँ के मुकुट पर जो
ये खून का कलंक लगाया।
उसका आँखों में आँसू,
दिल में दर्द भरा, तन पर गुस्सा है।
हिम्मत हो तो आएं हमारे जज्बात
जवानों के सामने। हम सबको
नोच देंगे। हर खून का बदला लेंगे।।
*-- मोहित जागेटिया*
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