Wednesday, October 29, 2025

सफ़र की धूप में


सफ़र की धूप में बरगद की छाँव मिल जाए ।
भाग दौड़ की जिंदगी में मेरा गाँव मिल जाए ।

निकला हूँ जिंदगी के सफ़र में इरादों से ,
अब मुझे तेरे शहर में हर भाव मिल जाए ।

मेरी मंजिल तो सदा से ही आसमान है ,
चलूँ हौसलों की रज पर वो पाँव मिल जाए ।

रोज उलझनों से भरी दुनिया में ये जिंदगी ,
नफ़रत की दुनिया में प्रेम का लगाव मिल जाए ।

मन का भेद मिटा कर अपनों से मिलाए जो ,
भव सागर पार कराए वो नाव मिल जाए ।

*-- मोहित जागेटिया*

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