मैने बुझते चिराग को जलते देखा है। कभी उस आंगन में फूल खिलते देखा है । कभी जिंदगी भर साथ का वादा किया था, आँखों से उस दोस्त को बदलते देखा है। ।।मोहित।।
No comments:
Post a Comment