Friday, July 7, 2017

हम भी आशियाना बनाने चलें है

हम   भी  अपना  आशियाना  बनाने  चलें  है।

रात के सपनों को अब हकिगत सजाने चलें है।

जो  छोड़  चूके  हमारा  साथ  इस  दुनिया  से,

उनको  छोड़  हम  भी  दुनिया  बसाने  चले  है।
मोहित

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