Mohit jagetiya
Wednesday, February 24, 2021
वसंत
प्रकति के रूप का नही कोई अंत है।
खिलती धरा का श्रृंगार भी अनंत है।
पुष्प से महकता पराग पवन गुलजार,
प्रेम उत्साह का मौसम ये वसंत है।।
मोहित जागेटिया
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