* मेरा खाटू श्याम*
जीवन में थी खाटू आने की मुझे आस ।
श्याम बाबा ने बुलाया मुझे उनके पास।
सुनता है सबकी उसने मेरी भी सुन ली,
भरोसा मुझे उस पर सदा ही था विश्वास।
कभी मन में लगन थी करूँ श्याम का दर्शन।
उसके दर्शन से धन्य हो गया ये जीवन।
मान गया हूँ ,मैं सच में वो तो दयालु है,
सदा ही पूजा करता मेरा यही तन मन।
मैं खाटू में आ कर खाटू को जान गया।
हारे का सहारा श्याम को मैं मान गया।
सब कुछ मिलता है उसके दरबार में आज,
खाटू की रहमत को मैं आ कर भान गया।
हर हारे की सुनता है सच में वो पुकार।
लाखों भक्तों से भरा खाटू का दरबार।
सच्चे मन में हो आस्था तो वो सुनता है,
हर दीन दुखियों की करता है वो उद्धार ।
नये नये हर फूलों से सजा उसका धाम
जीवन महक जाता,जो लेता उसका नाम।
उनकी चरणों बार बार नमन और वंदन,
मेरे मन में बस गया मेरा खाटू श्याम।
मोहित जागेटिया
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