बांसुरी
जब उसने हर शब्द सजाया है।
जिस स्वर को संगीत बनाया है।
कन्हैया बजाते बांसुरी को,
बंशी ने स्वर ऐसा गाया है।
बंशी ने शब्द को दी पहचान ।
स्वर ने संगीत में दी मुस्कान ।
नटखट कन्हैया की शोभा है,
अतिसुंदर श्याम की बंशी शान ।
कन्हैया के मुख पर सँवर गई।
बंशी की धुन भी निखर गई।
मधुर मधुर ध्वनि अनुराग भरी,
राग को कभी अलौकिक कर गई।
जिसके हाथों में कभी सज गई।
ऐसा सुर,सात सुर से भज गई।
उसने जो संगीत सजाया है,
प्रेम के वन में वो जो बज गई।
मोहित जागेटिया
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