Thursday, January 25, 2024

ज़ख्म सह रहा


हवाओं का इशारा तो कुछ और कह रहा है।

फिजाओं की महक में तो ये इश्क बह रहा है।

जरा मासूम मासुमियत को समझ लो इसबार,

विरह की वेदना का ये दिल ज़ख्म सह रहा है

मोहित जागेटिया

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