हवाओं का इशारा तो कुछ और कह रहा है।
फिजाओं की महक में तो ये इश्क बह रहा है।
जरा मासूम मासुमियत को समझ लो इसबार,
विरह की वेदना का ये दिल ज़ख्म सह रहा है
मोहित जागेटिया
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