Mohit jagetiya
Wednesday, November 13, 2024
मुक्तक श्याम
2
मैं जिसकी राधा बनू तुम हो घनश्याम हो।
मैं जिसकी सीता बनू तुम हो श्री राम हो।
प्रीति ऐसी मेरी हर बंधन को निभाए,
दर्शन करें ये नयन हाथों से प्रणाम हो।
मोहित जागेटिया
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