Monday, July 8, 2019

अनिल सर सम्पादक


छोड़ चले गयें
अपनी कहानी बना कर।
आज लोट चले
अपनी निशानी बना कर।
वो याद रहेंगे
हमेशा ही हमको।
सरल सदभाव के व्यक्तित्व था
उनका अच्छा व्यवहार था
प्रजातंत्र स्तम्भ उनका एक परिवार था।
फूल थे वो
जिनकी खुशबू से
हम महक रहें थे
आज फूल टूट गया
लेकिन खुशबू उनकी हमेशा रहेगी।
सबसे प्रेम से बातें करते थे
सबका साथ ले कर चलते थे
साहित्य का वो पौधा लगाते थे
उसकी छाव में सबको बिठाते थे।।
मोहित जागेटिया

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