Tuesday, January 21, 2020

कान्हा

मोहब्बत की बांसुरी को बजाते हो तुम कान्हा।
गोकुल की गलियों में गाय चराते हो तुम कान्हा।
जब प्रीत की डोर राधे ने तुमसे बांधी कान्हा,
जब मन मन्दिर में राधे को तुम पाते हो कान्हा।।
मोहित जागेटिया

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