""""अधूरी मुलाकात है""""
जब से मैंने तुमको अपना माना ,
उस दिन से तुमको मैंने पहचाना ।
प्रेम के जो रास्ते बदले दिखें हैं ,
उन रास्तों का जो मैंने सच जाना ।।
हकीकत में कहो कितनी चाहत है ?
बता दो आज कितनी मोहब्बत है ।
आज ये दिल तुमको जितना चाहता ,
क्यों तुम को उतनी ही ये नफ़रत है ।।
दिल मेरा कितना अब ये उदास है ,
मन में नहीं कुछ भी अब विश्वास है ।
टूट रहे मेरे वो सब जो सपने ,
ये दिल के अब क्यों नहीं वो पास है ??
आँखों से बरसती ये बरसात है ,
दर्द से गुजरी मेरी हर रात है ।
तुम्हें पा कर मैं आज अधूरा हूँ ,
हर बात पर अधूरी मुलाकात है ।।
तुम्हारी चाहत से दिल रोता है ,
बार-बार ऐसा क्यूँ ये होता है ?
तन्हाई मिली मुझें इस चाहत में ,
इसलिए ये दिल अकेला सोता है ।।
मुझे तो तुम से ही सच्चा प्यार है ,
जन्म का बंधन तुमसे स्वीकार है ।
इस जीवन का सफर तुम्हारे संग ,
तुमसे ही ज़िंदगी का आधार है ।।
*-- मोहित जागेटिया*
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