टूटा हूँ मैं आज
खुद की वेदना से
मिली नही मुझे
अब तक कोई
भी सवेदना।
क्या ये रिश्ता
रिश्तेदारी का बंधन है।
जहाँ सम्बंध में भी
आज प्रतिबंध है।
जोड़े थे जो रिश्ते
हमने सह सम्मान से
उसमें आज ये अपमान कैसा है
हर पल जो यादों से
बिछड़ने लगें ये रिश्ते
कल क्या ये समुंदर बनेंगे
जो आज सरोवर भी नही बने है।।
मोहित जागेटिया
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