Thursday, April 30, 2020

मजदूर दिवस पर

***** *मजदूर* *****
रोज खून पसीना बहाया करता हूँ।
मैं मेहनत का रोज खाया करता हूँ।
अपनी मेहनत से में मजदूर  बनता ,
देश धरा मजबूत बनाया करता हूँ।।

मैं सुबह सुबह जल्दी उठ कर जाता हूँ।
रोज दिनभर पत्थर सिर पर उठाता हूँ।
सुकून नहीं कहीं भी आंखों में आंसू,
कभी कभी मैं जब भूखा सो जाता हूँ।।

मैं धूप,सर्दी, बरसात सब सहता हूँ।
मजबूरी को मैं कभी नहीं कहता हूँ।
रोज अपनी मेहनत का खाता हूँ मैं,
मैं अपनी मौज मस्ती मगन रहता हूँ।

देश धरा की लिखी हैं मैंने कहानी।
जब कभी खून हो जाता पानी पानी।
पसीने से गढ़ी आज की ये दीवार,
ख़फा दिया बचपन और सारी जवानी।।

आज हक़ीक़त से रोज कोसों दूर हूँ।
कभी अंधकार में दीपक का नूर हूँ।
लड़ते हैं रोज ही अपनी मेहनत से,
मैं मजदूर हूँ क्योंकि आज मजबूर हूँ।।

-- मोहित जागेटिया
   भीलवाड़ा राज.

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