Wednesday, June 17, 2020

वतन की मोहब्ब्त का रंग

इस मिट्टी में अपना 
लहू ले कर चलते हैं
मातृभूमि पर प्राण न्यौछावर
कर देते हैं ,
वो भारत माँ के लाल
घर परिवार छोड़ कर 
देश साथ रखते हैं ।
मिटा देते ख़ुद को
तिरंगे की आन के लिए
कफ़न तिरंगा हो
वो ये ख़्वाब ले कर चलते हैं ।
न सोचते 
आगे पीछे क्या होगा ?
देश के लिए जीते
देश के लिए ख़ुद को मिटाते ,
सीमा पर हर पल तैयार रहते
दुश्मन के हर पत्थर
का ज़वाब ख़ुद बन जाते हैं ।
जो हमको ललकारते
हमसे जो लड़ते 
वो ख़ुद ही मिट जाते हैं ।
बाजुओं में हिम्मत, जोश
भारत माँ के जय घोष से भरा ।
वतन मेरा सलामत रहे ,
वतन की मोहब्बत का रंग भरा ।
 
-- मोहित जागेटिया

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