टूटा हूँ मैं अपनों से अपनों का प्यार नहीं ।
छोड़ गये कैसे माने वो अपना यार नहीं ।
जो मेरी चाहत को अपना बनाने के लिए ,
आज पास से दूर गए वो अब स्वीकार नहीं ।
तोड़ा था जिसने दिल मेरा उसने ज़ख्म दिया ,
उस पर हमको भी कोई कभी एतबार नहीं ।
अब वक्त का भरोसा नहीं कब ये बदल जाए ,
किसी पर अब विश्वास करें ये वो संसार नहीं ।
प्यार में टूटे लोगों की ज़ख्म भरी कहानी ,
किसको अपना माने अब कोई अधिकार नहीं ।
रोते जीवन की बहती नदिया इक धार सी ,
कोई किनारा बैठा जीवन अब उस पार नहीं ।
-- मोहित जागेटिया
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