Monday, June 8, 2020

गज़ल

टूटा हूँ मैं अपनों से अपनों का प्यार नहीं ।
छोड़ गये कैसे माने वो अपना यार नहीं ।

जो मेरी चाहत को अपना बनाने के लिए ,
आज पास से दूर गए वो अब स्वीकार नहीं ।

तोड़ा था जिसने दिल मेरा उसने ज़ख्म दिया ,
उस पर हमको भी कोई कभी एतबार नहीं ।

अब वक्त का भरोसा नहीं कब ये बदल जाए ,
किसी पर अब विश्वास करें ये वो संसार नहीं ।

प्यार में टूटे लोगों की ज़ख्म भरी कहानी ,
किसको अपना माने अब कोई अधिकार नहीं ।

रोते जीवन की बहती नदिया इक धार सी ,
कोई किनारा बैठा जीवन अब उस पार नहीं ।

-- मोहित जागेटिया

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