Saturday, December 5, 2020

भुलानी होगी


भुलानी होगी वो यादें वो बातें।
गुजरे हर पल की बीती मुलाकातें।
याद को याद कर के क्या फायदा अब,
वरना बरसती आखों से बरसातें।।

वो गुजरे लम्हें की थी अलग कहानी।
याद करो तो आता नयनों से पानी।
अब मतलब क्या? उस लम्हें से हमको भी,
जो अधूरे इश्क़ में थी कभी जवानी।

देखे जो हमने सपने वो भी टूटे है।
संबंध भी अपने रिश्तों से जब छूटें है।
हम चले ऐसे सफर में जिसकी राह नहीं
चाहें वो  संबंध भी कभी हम से रूठे है

इश्क़ जिंदगी का एक मुकाम नहीं था।
इश्क़ जिंदगी का कोई नाम नहीं था।
जो सच्चा बंधन रिश्तों में प्यार भरे ,
वो इश्क़ धड़कनों का इल्जाम नहीं था।।
मोहित जागेटिया

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