"चली आओ तुम"
चली आओ तुम
मेरे दिल को सुक़ून देने
दिल बुलाता है
तुम्हें बार बार।
मेरे गीतों को स्वर देने
मेरे शब्दों को आवाज देने
मेरी कलम की आवाज है
चली आओ तुम
मेरे मन को सुक़ून देने।
मेरा प्यार तुम्हे बुलाता है
मेरी धड़कन मेरी हर सांस
अब तुम्हें बुलाती है
मेरी प्रीत में अपनी प्रीत
मिलाने,मेरे उदास मन को
खिलाने,ये दिल तुम्हें बुलाता,
चली आओ तुम
मेरे तन को सुक़ून देने।।
मोहित जागेटिया
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