बरस जाओ बादल ,
बरस जाओ बादल।
आ गया है सावन ,
महक जाए ये मन ।।
दिल की यही आवाज है ,
तुम से धरती का साज है ।
ले आओ धरती की आस ,
मन सबका कहता आज है ।।
बरस जाओ बादल ,
बरस जाओ बादल ।
आ गया है सावन ,
धरा से निकले अन्न।।
आज बुला रहा हर किसान ,
विनती करता हर इंसान ।
नदिया, झरने की आवाज ,
अब तो सुन लो हे भगवान ।।
बरस जाओ बादल ,
बरस जाओ बादल ।
आ गया है सावन ,
महक जाए हर वन ।।
धरती का प्रेम बुला रहा ,
मोर पपिया गीत गा रहा ।
साजन जो घर से दूर है ,
प्रेम उसका अब सता रहा ।।
बरस जाओ बादल ,
बरस जाओ बादल ।
आ गया है सावन ,
आवाज देता तन ।।
जिंदगी में खुशहाली हो ,
हर तरफ अब हरियाली हो ।
जब खूब बरसे बरखा तो ,
हर वक्त ये दीवाली हो ।।
बरस जाओ बादल ,
बरस जाओ बादल ।
आ गया है सावन ,
माह शिव का पावन ।।
*-- मोहित जागेटिया*
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