Saturday, July 3, 2021

तन्हाई में



तन्हाई में जीना कितना 
मुश्किल होता है
दिल बैचेन मगर
यादों का सफ़र होता है
खुद ही जीना,खुद ही खोना
सफ़र कहाँ आसान होता है
मन की उदासी,दिल की बैचेनी
यादों को तड़पाती है।
जीना पड़ता है खुद के रास्तों पर
सफ़र कैसा भी खुद को ही चलना पड़ता है।
जिंदगी के कही सवाल होते है
ख्वाबों के जज़्बात होते है
मुसीबतों के पहाड़ होते है
न घबरा कर,हिम्मत से
सामना कर सफ़र में चलना होता है।
जब यादों के मोती
आँखों से गिरते है
आशाएं थम जाती है
पाव काँपते है,हाथ थरथराते है
मगर मन की हिम्मत रुकने कहाँ देती है
चल मुसाफ़िर ये ही तो असल जिंदगी है
जो कही ख्वाब बनेंगे कही ख्वाब टूटेंगे
न रुकेंगे ये पाव हिम्मत है जब तक चलेंगे
मोहित जागेटिया

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