दुश्मन की हर चाल हम सबको ललकारती।
तुम शौर्य की आज फिर ऐसी गाथा लिख दो,
धरा ये पुकारती -पुकारती माँ भारती।
तुम बढ़े चलों-बढ़े चलों भारती के लाल।
पहचान लो अब सारे दुश्मन की हर चाल।
मिटा दो उसको कहे कोई था? कल कोई,
आज बड़े चलो वीर बनो दुश्मन का काल।।
भवानी का रूप बन सरहद पर छाएँ है।
महकती इस वतन की हमारी फिजाएँ है।
हाथ मजबूत है रण के आज मैदान में,
आपके साथ देश की सारी दुआएं है।
बुलंद हौसलों से भरी तुम्हारी कहानी।
सरहद पर काम आएं हमारी जवानी।
रण में प्रचण्ड का प्रलय प्रारम्भ हो गया,
मिटानी होंगी दुश्मन की सारी निशानी।।
मोहित जागेटिया