Tuesday, November 11, 2025

वो दोस्ताना नहीं रहा है

आज नयें सफ़र में कुछ भी पुराना नहीं रहा है।
उसका मुसीबत में अब काम आना नहीं रहा है।।
वक्त बदला तो अब सारे ये हालात बदल गए।
अहसास का वो दौर सारी मुलाक़ात बदल गए।।
हमारी दोस्ती का वो अब जमाना नहीं रहा है।
मेरी दोस्ती का अब वो दोस्ताना नहीं रहा है।

न पहले वाला मिलता हमें अब सम्मान नहीं है।
ऐसे जिंदगी जी रहें। जैसे पहचान नहीं है।
जिंदगी के सफ़र में कल छूट गया,आज याद है,
हम गम का चेहरा छुपाते, अब मुस्कान नहीं है।
आज याद करें दोस्ती वो फ़साना नहीं रहा है
मेरी दोस्ती का अब वो दोस्ताना नहीं रहा है।

सच्ची दोस्ती का वो सफ़र अब भी याद आता है।
बीते साथ का वो वक्त नहीं भुलाया जाता है।
कभी फ़िक्र रहती एक-दूजे में कितना प्यार था।
रोज मोहब्बत करने वाला वो मेरा यार था।।
सच्ची दोस्ती का अब वो दीवाना नहीं रहा है।
मेरी दोस्ती का अब वो दोस्ताना नहीं रहा है।।

वो लौट कर फिर वापस आज मेरा पल आ जाएं।
दोस्ती से महकता सुकून भरा वो कल आ जाएं।
उसी अंदाज में मिलने का हर बहाना आ जाएं
गुजरे लम्हों का मेरा वो दोस्ताना आ जाएं।।

:-मोहित जागेटिया



दोस्ताना मिल जाएं

तुम्हारी दोस्ती का दोस्ताना मिल जाएं। 
संग जीने का वही बहाना मिल जाएं।
यार जिस सफ़र पर हम-तुम चल रहें थे वो,
फिर मेरी दोस्ती का खजाना मिल जाएं।

उसी यादों का फिर फ़साना मिल जाएं।
वो हँसी,बातें, वो जमाना मिल जाएं।
ये दुआ है बस इतनी मेरी ईश्वर से,
फिर से दिल से वो नजारा मिल जाएं।
मोहित जागेटिया 

Wednesday, October 29, 2025

दीपावली

*दीप उत्सव की आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं। मां लक्ष्मी की कृपा सदा आप पर बनी रहे जीवन में खुशहाली सुख,शांति,समृद्धि,बनी रहे। जीवन के आनंद में सदा ही दीप ज्योति जलती रहें। जीवन को रोशन कर जाए।*
दीप ही दीप जलाएं राम जो घर आएं।
हर घर-गली, आँगन को अयोध्या बनाएं।
मन की रौशनी का ये पावन पर्व आया, 
सब मिल कर खुशियों की दीपावली मनाएं।
ओम प्रकाश सुथार
सिदडियास

तू जो राधे radhe गाता

तू जो राधे-राधे गाता है। 
उसकी तो वो राह दिखाता है।
मन मंदिर में उसकी पूजा हो,
हर मुसीबत में चला आता है।

मेरा श्याम है मेरा राम है
राधे राधे कहे ये काम है।

राधा नाम तो कष्ट हरता है।
सुख के सारे सागर भरता है।
दुख के दिन भी सारे मिट जाते,
राधे को सदा याद करता है।
मोहित जागेटिया 

सफ़र की धूप में


सफ़र की धूप में बरगद की छाँव मिल जाए ।
भाग दौड़ की जिंदगी में मेरा गाँव मिल जाए ।

निकला हूँ जिंदगी के सफ़र में इरादों से ,
अब मुझे तेरे शहर में हर भाव मिल जाए ।

मेरी मंजिल तो सदा से ही आसमान है ,
चलूँ हौसलों की रज पर वो पाँव मिल जाए ।

रोज उलझनों से भरी दुनिया में ये जिंदगी ,
नफ़रत की दुनिया में प्रेम का लगाव मिल जाए ।

मन का भेद मिटा कर अपनों से मिलाए जो ,
भव सागर पार कराए वो नाव मिल जाए ।

*-- मोहित जागेटिया*

Sunday, May 11, 2025

धरा ये पुकारती पुकारती माँ भारती

जवानों तुम देखों सरहद आज पुकारती।
दुश्मन की हर चाल हम सबको ललकारती।
तुम शौर्य की आज फिर ऐसी गाथा लिख दो,
धरा ये पुकारती -पुकारती माँ भारती।

तुम बढ़े चलों-बढ़े चलों भारती के लाल। 
पहचान लो अब सारे दुश्मन की हर चाल।
मिटा दो उसको कहे कोई था? कल कोई,
आज बड़े चलो वीर बनो दुश्मन का काल।।

भवानी का रूप बन सरहद पर छाएँ है।
महकती इस वतन की हमारी फिजाएँ है।
हाथ मजबूत है रण के आज मैदान में,
आपके साथ देश की सारी दुआएं है।

बुलंद हौसलों से भरी तुम्हारी कहानी।
सरहद पर काम आएं हमारी जवानी।
रण में प्रचण्ड का प्रलय प्रारम्भ हो गया,
मिटानी होंगी दुश्मन की सारी निशानी।।
मोहित जागेटिया


ऑपरेशन सिंदूर


उस सुहागन का ना पाक ने 
सिंदूर उजाड़ा था।
रोई थी सुहागन ज़ब पति का उसके 
सामने धर्म पूछ कर मारा था।
देश क्रोधित हुआ था,
इस घटना को देख कर 
मांग रहा था बदला देश के प्रधान से।
विश्वास था सबको भारत के जवानों पर
देश बदला लेगा सही समय पर।
आज वो सही समय आया 
सिंदूर का बदला भारत के जज्बात 
सैनिक दुश्मन के घर में जा कर।
हनुमान का रूप धर कर 
ऑपरेशन सिंदूर से दुश्मन का खून 
का सिंदूर उजाड़ आये।
गर्ग है हमको हमारे वीरों पर।
मोहित जागेटिया