Tuesday, December 24, 2019

कुण्डलिया छंद

            कुण्डलिया छंद
(1 )
देश कहानी लिख रहें, हमारे भी जवान।
दी जान देश पर लुटा ,रहें देश का मान।।
रहें देश का मान,अभिमान खुद पर करते।
उनका हो सम्मान,वतन पर वो जो मरते।।
दिल मे रहता देश,हाथों में वो जवानी।
हो उनका गुणगान,हो अमर देश कहानी।।

(2)
वो घर हो संस्कार का,मिलें जहाँ पर प्यार।
हो जो भी अच्छी शिक्षा,मिलें वो बार बार।।
मिलें वो बार बार,जहाँ पर जीवन दिखता।
रास्तें हो बेजान,वही पर अनुभव मिलता।।
सुंदर हो संसार,जहाँ जीवन जाएं तर।
सुख के सारे द्वार,स्वर्ग होता है वो घर।।

(3)
रहता आँगन घर खुला, निर्धन उसको जान।
छोटा ही संसार है,सच्ची वो मुस्कान।।
सच्ची वो मुस्कान,सारा दर्द वो गाता।
होता एक गरीब,दर्द को ले कर आता।।
सहने को मजबूर,वो सुखी बन सब सहता।
भूखा ही परिवार,दिल मे बस दर्द रहता।।

(4)
बंधन रिश्ता जोड़ कर,करते हम सम्मान।
अपना कर वो जिंदगी,बहु हो सबकी शान।।
बहु हो सबकी शान,बिना देहज अपनाएं।
रिश्तों का वो मान, बेटी किसी घर आयें।।
बेटी कन्यादान,वही बंधन है वन्दन।
जो हमको स्वीकार,दिल से जुड़े वो बंधन।।

(5)
मां जैसा कोई नही,मां बच्चों की जान।
माँ तुम तो महान हो,हो तुम ही भगवान।।
हो तुम ही भगवान,सपनों का संसार हो।
मिलता हमको प्यार, माँ तुम वो बौछार हो।।
माँ को दे मुस्कान, हम ध्यान दे माँ वैसा।
माँ खुद ही अवतार,कोई नही माँ जैसा।।

(6)
मां ममता है दया है,मां ही चारों धाम।
मां हैं पूजा वंदना ,मां से सबके काम।।
मां से सबके काम,उतारे अपनी नजरें।
होता मां का प्यार, टले हैं उससे खतरे।
भरा प्रेम वात्सल्य ,दर्द दुख की समता है।
मां श्रद्धा का फूल,प्यार ही माँ ममता है।।

(7)
धरती का वो लाल है, हम सब की है शान।
आन बान औ शान वो , वह  देश का किसान।।
वह देश का किसान ,हम सबका भगवान है।
किसान से है धान ,धन्य  आज ईमान है।।
कह मोहित कविराय,,प्यार लगन श्रम हरती।
जब ढल जाती शाम, तब करती प्यार धरती।।

(8)
आज बधाई जो मिली,मुझे खूब स्वीकार।
तन मन से  है शुक्रिया,तहदिल से आभार।
तह दिल से आभार, आप भी सदा मौज में।
मिलें जु खुशी हजार, बनी रहें जो रोज में।।
धन्यवाद स्वीकार ,बना रहें मेरा ही काज।
बना रहें ये प्यार, कल जो था वो ही आज।।
मोहित जागेटिया

(9)
हर गाँव गली शहर हो,स्वच्छता रहें द्वार।
सुंदर हो वातावरण,स्वच्छ रहें परिवार।।
स्वच्छ रहें परिवार,नही बीमारी आएं।
होता सम्मान जब,खुशबू से महक जाएं।।
साफ करें गन्दगी, दिल मे हो सबके भाव।
होती इसमें शान,आगें आये हर गाँव।।
मोहित जागेटिया


जब हर बेटी को मिले,ज्ञान और सम्मान
जो बेटी को प्यार दे,पाएं वो मुस्कान।।
पाएं वो मुस्कान,हर बेटी को पढ़ाओ।
दे सारे अधिकार,उसको आगें बढ़ाओ।।
बेटी से हो प्रीत,सम्मान होगा सच अब।
कैसे होगा आज,बेटी नही होगी जब।।
मोहित जागेटिया



            """स्वच्छता""
घर गाँव शहर वह गली,स्वच्छता रहें द्वार।
सुंदर हो वातावरण,स्वच्छ रहें परिवार।।
स्वच्छ रहें परिवार,नही बीमारी आएं।
होता जब सम्मान ,खुशबू से महक जाएं।।
करें गन्दगी साफ, ये भाव सबके अंदर
होती इसमें शान,आगें आएं गांव घर।।


                   नशा
जैसे जैसे बढ़ रहा,बिगड़ रहे परिवार ।
बीमारी का घर नशा,जीवन जाए हार।। 
जीवन जाए हार,जब कभी खुद खोयेगा
रह जाएं बस नाम,परिवार घर रोयेगा।।
कैसे हो उद्धार, जब नही होगा वैसे।
नशा छोड़ कर आज,जिंदगी हो सच जैसे।।
जब कभी खुद खोयेगा


                वृद्धाश्रम
कैसा दिन ये आज है,बदला समाज रूप ।
माँ-बाप वृद्धाश्रम में,मिलती उनको धूप।।
मिलती उनको धूप,नही होगी अब छाया।
बहुत दिया था प्यार,आज रोती वो काया।
उदास है दिन रात,नही हो कोई जैसा।
मिल जाये वो प्रीत,जो गया अपना कैसा।।
मोहित जागेटिया
















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