Monday, July 13, 2020

कुण्डलिया छंद

कुण्डलिया छंद 


सावन आया रे सखी,घटा चढी घनघोर।
अब मारा आई पिया,बागा बोले मोर।।
बागा बोले मोर,अखिया दर्शन निहारे।
हुई नयन बरसात,पिया प्यासी प्यारे।
पिया मन भरा प्रेम,छाई घटा पावन।
मन सावन बरसे प्रीत,आया सखी  ये सावन।।
मोहित जागेटिया

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