मेरे गुलशन को तुम महकाते हो ।
मेरे आंगन में तुम खिल जाते हो ।
तुम में मधुरस भरा महकती साँसें ,
प्रीत की धरा इस तरह सजाते हो ।।
प्रीत झरोखे से प्रेम झरना झरा ।
प्रेम पुण्य पल पावन मन हरा धरा ।
सदा बना रहता रिश्तों का बंधन ,
वो जीवन जो खुशियों से रहा भरा ।।
मन में नीला अम्बर चाँद सितारे ।
पुष्प लता से महके रिश्ते सारे ।
आता सूरज देखकर निशा जाती ,
प्रेम गया जीत , नफ़रत गये हारे ।।
-- मोहित जागेटिया
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