Saturday, September 21, 2019

वक्त का पहिया

" वक्त का ये पहिया"

गुजर जाते है वो दिन
जिसे मैं याद करता हूँ
लौट नहीं आते वो दिन
जिसे मैं याद करता हूँ ।
वक्त का ये सफ़र निकल रहा है
ज़िंदगी के साथ-साथ ये चल रहा है ।
अवसर , आशा बन रही है
कुछ ख़्वाब , कुछ यादें सज रही है ।
जो बीत रहा है , वो बीत रहा है।
कुछ लम्हें ज़िंदगी के छूट रहें हैं
कुछ गौर निराशाएं टूट रहीं हैं ।
वक़्त के साथ ये ज़िंदगी
रोज-रोज नई बन रही है।
मन की उंमग रोज नई बन रही है।
जीवन के सपने
नयें आयाम को आकर दे रहें हैं ।
उम्र का ये दौर मेरा गुजर रहा है व।
वक्त का ये पहिया
ज़िंदगी का सफ़र निकाल रहा है ।।
मोहित जागेटिया

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