Saturday, October 5, 2019

तुम्हारे शहर में

        "तुम्हारे शहर में"
तुम्हारे शहर में हर कोई बदनाम है ।
कत्ल भी अब रोज यूं ही ये सरे आम है
हर रोज बिक जाता ख़ुद के स्वार्थ में कोई ,
यहाँ नही किसी की कीमत का अब दाम है।
प्रकाश में भी अंधकार की छाया रहती ,
देखो ये कैसी आज सुबह और शाम है ?
मनमर्जी करता आज ख़ुदगर्जी के लिए ,
भय नहीं , पूछता कहाँ ? ईश्वर का धाम है ?
क्या अच्छा क्या बुरा , नहीं पता परिणाम का ?
बस मतलब सबको अपने काम से काम है ।
कुछ भी कर के गुजरता इंसान इस पथ से ,
सफ़र का कुछ भी पता नहीं , क्या परिणाम है ?
कर के अच्छा काम सबको दिल में बसा लो ,
दिल में रहते लोग ही राम और श्याम है ।
*-- मोहित जागेटिया*

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