Monday, September 21, 2020

मेरी कविता का,,,,,


"""मेरी कविता का तुम श्रृंगार हो"""""

मेरे शब्दों में तुम मुस्कान हो।
मेरी चाहत से मेरी जान हो।
मेरी कविता का तुम श्रृंगार हो।
मेरे शब्दों का तुम अवतार हो।
जिससे लिखता हूँ दिल की कलम से
मेरे लफ्ज़ों का तुम आकार हो।।

सोचते है वो तुम आसमान हो।
मेरी चाहत से मेरी जान हो।।
मेरी कविता मेरा तुम गीत हो।
मेरे शब्द सुमन का तुम मीत हो।
सुनता रहूँ मैं संगीत बना कर,
तुम मेरी चाहत की वो प्रीत हो।।

मेरी किताब की तुम पहचान हो।
मेरी चाहत से मेरी जान हो।।
मेरी भाषा मेरा व्यवहार हो।
लिखता रहूँ तुम्हें वो विचार हो।
मेरी कल्पना की कविता तुम हो,
शब्द शायरी का तुम संसार हो।।
मोहित जागेटिया


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