Wednesday, September 23, 2020

किताब बना दूंगा


वक्त के हर सवाल का मैं ख़ुद को ज़वाब बना दूंगा ।
कल कोई पूछे किया क्या तो मैं हिसाब बना दूंगा ।

मेरी पहचान ख़ुद लिखूं मेरी काबिलियत दुनिया बताए ,
कभी वो काटों का दर्द सहन कर मैं गुलाब बना दूंगा ।

मेरी मंज़िल मुश्किलों के कठिन राह स भीे गुजरेगी ,
कल के हालात जो बदल जाए वो ख़्वाब बना दूंगा ।

पहचान सके कोई मेरी गहराई कितनी है दुनिया में ,
करीब आकर देख ले कभी जन सैलाब बना दूंगा ।

कल के लिए ज़िंदगी मेरी एक खुली किताब होगी ,
पढ़ ले ये दुनिया मुझको ख़ुद को वो किताब बना दूंगा ।

-- मोहित जागेटिया

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