Mohit jagetiya
Saturday, September 12, 2020
हमसाया समझता है
कोई अपना समझता है कोई पराया समझता है ।
दिल की बेचैनी को तो बस कोई जाया समझता है ।
दर्द भरी इस ज़िंदगी को कोई ख़ुद नहीं समझ पाया ,
मगर दिलों के रिश्तों को कोई हमसाया समझता है ।।
-- मोहित जागेटिया
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