आरक्षण की आग में मेरा देश जल रहा है।
न जाने किस आग में मेरा देश जल रहा है
कौन से आदर्श पर आज कल ये पल रहा है।
भीमराव के संविधान को भी तोड़ा जा रहा
इस देश की दिशा को ही और मोड़ा जा रहा।
हर चारोयें पर अब रोज दंगा हो रहा है
आरक्षण के लिए ये देश गंदा हो रहा है।
ये कैसी तुमने आग लगाई बसें जलाई
क्या तुमने बाटने,तोड़ने की अलख जगाई।
भीमराव ने न्यायालय को भी सम्मान दिया
आज उसी न्यायालय को तुमने अपमान दिया।
प्रतिभाओं को दबाया तुमको आगे बड़ाया
इस देश ने तुमको हमेशा ही आगे लाया।
इस देश मे तुमको हर जगह पर जब स्थान दिया
आसन,सिंहासन पर बैठा कर सम्मान दिया ।
तो क्यू अपना राष्ट धर्म को तुम भूल रहें हो
अपना कर्तव्य और कर्म को तुम भूल रहें हो।
हम सबको सम्मान का बराबर अधिकार मिलें
एक दूजे से आपस में हमेशा प्यार मिलें।
जातिवाद और आरक्षण को अब खत्म करो
राष्ट धर्म का तुम अब अपना सच्चा कर्म करो।
मोहित
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