Sunday, April 22, 2018

एक रूप में तुम दो रूप धरोगी

एक रूप के तुम दो दो रूप धरोगी।
मेरी राधा तो कभी रुक्मणि बनोगी।
अब तुम मेरी मीत तो उनकी प्रीत हो
मेरी पीड़ा तो उनका दर्द  रहोगी।।
मोहित

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