श्रद्धा और सुमन तुम हो
विश्वास की किरण तुम हो
जहाँ पर पुष्प खिलते है,
वो मेरा उपवन तुम हो।।
इस दिल मे तुम पलते हो
दीपक बन के जलते हो
मिलता जहाँ पर भी प्यार,
खुद के दम पर डलते हो।।
मेरा मन मंदिर तुम हो
इस दर्शन का घर तुम हो
इस दिल मे तुम रहते हो,
अब यहाँ वहाँ पर तुम हो।
देना हम को भी प्रकाश
रहे तुम पर ये विश्वास
हर वक्त बना रहे साथ,
तुम ही मेरी आज आस।
नव दीप नवकार तुम हो
हर फूल का हार तुम हो
जहाँ पर मिलता सम्मान
वो हमारा प्यार तुम हो।।
अब दर्शन का ध्यान मिलें
तुम्हारा ही ज्ञान मिलें
तुम्हारी वंदना करू
उन चरणों मे स्थान मिलें।।
मोहित
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